________________ चौदहवाँ प्रकरण खप्पर चोर कलावती हरण एक दिन राजा विक्रमादित्य कलावती के साथ अपने महल में सोये हुए थे। परन्तु रात्रि में कोई चोर आकर कलावती का हरण कर गया। जब विक्रमादित्य की न्द्रिा भंग हुई तो कलावती को नहीं देखा। जब इधर-उधर बहुत खोज करने पर भी वह न मिली, तब कोई चोर कलावती को हर ले गया, ऐसा * समझ कर विक्रमादित्यका मुख अत्यन्त उदास हो गया और वह बहुत चिन्ता करने लगा। प्रातःकाल महल में हाहाकार मच गया। जब मन्त्री लोग राजा के पास आये, तो राजा को बहुत चिन्तित देख कर पूछने लगे कि 'आप इतने उदास क्यों हो गये हैं ? कृषा कर हमें बतलाइये।' तब राजा कहने लगा:-" मेरी प्राणप्रिया कलावती का रात में कोई हरण कर गया है, ऐसा लगता है, क्यों कि मैंने उसे इधर-उधर बहुत खोजा, परन्तु पता न चला / अतः अति चिन्तित हूँ।" कलावती की खोज यह बात सुनकर मन्त्री लोग बोले:-" हे महाराज ! जो चोर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org