________________ raamrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrmirammmmmmar 000 VENU . - / . " . CHANN111 * A 136 विक्रम चरित्र पर भी वे दोनों समान ही उत्तर देते थे। इससे मंत्री लोग कुछ भी निश्चय नहीं कर सके। क्योंकि अनेक प्रकार की बुद्धि से युक्त होने पर भी मायाजाल रचने वाले धूर्त लोग उन्हें ठगने में समर्थ होते हैं। जैसे तीन धूर्तों ने ब्राह्मण को ठग कर उससे छाग ले लिया। . इस की कथा इस प्रकार है- कोई ब्राह्मण यजमान से छाग की याचना करके उसको अपने कन्धे पर रख कर ले जा रहा था। तीन धूतों ने सोचा कि यह ब्राह्मण छाग (बकरा ) को ले जायगा और इसे मार डालेगा। इस लिये इसे ठग कर इस से छाग ले लेना चाहिये / वे तीनों धूर्त मार्ग में अलग अलग जाकर खड़े हो गये। जब ब्राह्मण! छाग लिये हुए वहाँ पहुंचा तब एक धूर्त बोला कि-'अरे! इस कुत्ते को अपने कन्धे पर बैठा कर कहाँ ले जा रहे हो ?' थोड़ा आगे जाने पर दूसरा धूर्त बोला कि-' हे ब्राह्मण ! इस शशक को कन्धे पर लाद कर कहाँ ले जा रहे हो?" कुछ दूरी पर पहुँचने के बाद तीसरा धूर्त बोला कि- अरे ब्राह्मण राक्षस को अपने कन्धे पर बैठा कर ले जा रहा है, इस से तेरा अवश्य नाश होगा।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org