________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित कहा भी है: " हाथी एक वर्ष में वश होता है, घोड़ा एक महीना में वश होता है, और स्त्री द्वारा पुरुष तो एक ही दिन में वश हो जाता है।"* ___“जो पुरुष बलवान् एवं मानी हैं, वे संसार में किसी के आगे सिर नहीं झुकाते, किन्तु वे पुरुष भी रागन्ध होने से स्त्री के चरणों में सिर झुकाते हैं।" “जो पराक्रमशाली और मानी पुरुष मरण पर्य्यन्त दीन वचन नहीं बोलते, वे भी स्त्री के प्रेम रूप राहु से ग्रसित हो कर उन के आधीन हो जाते हैं / " . "विष्णु, महादेव, ब्रह्मा एवं चन्द्र-सूर्य और छः मुख वाले कार्तिकेय आदि देवता भी स्त्रियों के किंकरत्व (दासत्व) को स्वीकार कर सेवा करते है ऐसी विषय तृष्णा को वारंवार धिक्कार है / "* हस्ती दम्यते संवत्सरेण, मासेन दम्यते तुरगः / महिलया किल पुरुषो, दम्यते एकेन दिवसेन // 165 // . ये नामयन्ति न शीर्ष न कस्यापि भुवनेऽपि ये महासुभटाः। रागान्धा गलितबला लुट्यन्ते महिलाना चरणतले // 166 // + मरणेऽपि दीनवचनं मानधरा ये नरा न जल्पन्ति / तेऽपि खलु करोति लल्लि बालानां स्नेहग्रहग्रहिलाः॥१६७॥ हरि-हर-चतुरानन-चन्द्र-सूर-स्कन्दादयोऽपि ये देवाः। - नारीणां किंकरत्वं कुर्वन्ति धिर धिग् विषयतृष्णाम् // 168 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org