________________ -मुनि निरंजनविजयसंयोजित नामक महारानी थी / उसके अपने ही सदृश गुण युक्त कई पुत्र होने के बाद एक कन्या हुई; इससे उसने बहुत प्रसन्नता के साथ जन्म-महोत्सव करके उसका नाम 'कमला' रखा / मातापिता के स्नेह युक्त लालन पालन से कमला ने दिन दिन बढ़ते हुए क्रमसे युवावस्था प्राप्त की / वह रूप और लावण्य तथा और भी अनेक गुणों से मानो लक्ष्मी के सदृश ही थी। कमलावती से विवाह राजा वैरीसिंहने महाराजा विक्रमादित्य को अपनी पुत्री के योग्य समझकर उनके साथ शुभमुहूर्त में अपनी पुत्री का पाणिग्रहण कराया / महाराजा विक्रमादित्य भी कमला के रूपादि सौन्दर्य तथा शील देख कर प्रसन्न रहा करते थे / जैसे विष्णु को लक्ष्मी प्रिय थी वैसे ही विक्रमादित्य के लिये कमला भी हुई। महाराज 'विक्रमादित्यने और भी कई राज-कन्याओं के साथ उत्सव पूर्वक विवाह किया। किन्तु उन सब स्त्रियों में आज्ञाकारिता तथा दृढ पतिव्रतादि धर्म से कमला महाराज की अत्यन्त प्रिय हुई / जैसा कहा है: * " रम्या, आनन्द करानेवाली, सुन्दरी, सौभाग्यवती, विनययुक्ता, प्रेमपूर्ण हृदयबाली, सरल स्वभाववाली और सदैव सदा* रम्या सुरूपा सुभगा विनीता, प्रेमाभिमुख्या सरल स्वभावा / सदा सदाचार-विचारदक्षा, संप्राप्यते पुण्यवशेन पत्नी // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org