________________ 7. प्राता नौवा प्रकरण पृ. 56 से 63, 66 उद्यान का वर्णन लग्न व भर्तृहरि से भेंट 56 67 नाई का देवरूप प्रकट 56 लान व भर्तृहरि से मेंट होना 56 लक्ष्मीपुर का वर्णन 68 गुटिका प्रदान 57 कमलावती से विवाह 51 प्रतिष्ठानपुर गमन 59 भर्तृहरि का आगमन 72 स्त्री रूप धारण 59 विक्रमादित्य की विनती ग्यारहवाँ प्रकरण पृ. 75 से 100 60 भर्तृहरि का महलमें आहार मुकोमला के पूर्व भव 75 लेने आना 75 सुकोमला के पूर्व भव 61 भर्तृहरि का अन्यत्र गमन 75 रूपश्री का सुकोमलके 62 एक लोकोक्ति पास देरी से पहुँचना प्रथम सर्ग समाप्त / 76 सुकोमला द्वारा पाँचों नई नर्तकियों को बुलाना द्वितीय सर्ग पृ. 64 से 115 78 विक्रमा के गान से सुकोदसवां प्रकरण पृ. 64 से 74 मला की प्रसन्नता तथा नरद्वेषिणी 64 रात्रि में बुलाना . 64 नरद्वेषिणी 81 विक्रमा का जाना व गीत६४ राजसभा में नाईका आगमन गान पूर्वक सात भवों की 65 राजा का सौन्दर्य कथा 65 प्रतिष्ठानपुर का वर्णन 84 धन और श्रीमती 66 राजकुमारी सुकोमला का 91 जितशत्रु और पद्मावती वर्णन | 94 मृगली-विभावसु देव की पत्नी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org