Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
७१९ ई नाल्कुं देशसंयतन कूटंगळोळु प्रत्याख्यानकषायचतुष्कर्म कळेवोडे प्रमत्तसंयतंगै मोहनीयोदयकूटंगल नाल्कुमप्पुववक्के संदृष्टि :
प्र २ । १
२२ । २२ । २२ । २२
११११ । १११११ १११ । ११११
ई प्रमतसंयतन नाल्कु मोहनीयोदयकूटंगळे अप्रमत्तसंयतंग नाल्कुमुदयकूटंगळप्पुष । संदृष्टि :--
प्र
२२ १११
| २२ १११ । १११ ११११ । ११११
१११ ११११
ई नाल्कुमप्रमतसंयतन मोहनीयोदयकूटंगलोळ सम्यक्त्वप्रकृतियं कळेवोपूर्वकरणंगें . मोहनीयोदय कूटंगळु नाल्कुमप्परवक्के संदृष्टि :
प
२२
२२ २२
२२ १११ । १११ । १११ १११ ११११ । ११११ । ११११ । ११११
एषु प्रत्याख्यानचतुष्केअनीते प्रमत्ताप्रमत्तयो:
२।२
२।२
२।२ १।१।१
१।१।१
प्रत्येकं । एषु सम्यक्त्वप्रकृती वियुतायामपूर्वकरणगुणस्थानस्य
२।२
२।२
२।२
२।२ १।११
मिश्रमोहनीयके स्थानमें सम्यक्त्व मोहनीय रखनेपर वेदक सम्यक्त्व सहित अविरत सम्यग्दृष्टीके चार कूट होते हैं।
देशसंयत सम्बन्धी कूट में तीन-तीन कषायके स्थानमें दो-दो कषाय लिखो; क्योंकि वहाँ अप्रत्याख्यानका भी उदय नहीं है। प्रमत्तसम्बन्धी कूटमें दो-दो कषायके स्थानपर एक-एक कषाय लिख । प्रमत्तकी ही तरह चार कूट अप्रमत्तके हैं। इन चारों कूटोंमें से सम्यक्त्व प्रकृतिको हटा देनेपर ये ही चार कूट अपूर्वकरणके होते हैं।
क-९१
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