Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 811
________________ विशेष शब्द-सूची ११६६ गुणहानि आयाम गोत्र कर्म गोत्रकर्म ( भेद ) १२८० ७, ९, १० २२ ३० देवायु देशवात्ति देववाद दो गुणहानि द्रव्यकर्म द्रराशि द्वीन्द्रिय जातिनाम ३३ १२४५ १२८. पदगतभंग परघातनाम परमुखोदयी परिणाम योगस्थान पर्याप्तिनाम पारिणामिक भाव पिण्डपद ६७८ २६४ घातिकर्म १२७९ ११५८ १२०२ [ ] वेद धर्मकथा ध्रुवबन्धी चतुरिन्द्रिय जाति नाम २७ चय १२५१ चयघन १२५१ चारित्र मोहनीय १६, २५ चूलिका ६४७ च्यावित शरीर च्युत शरीर ४७ ध्रुवोदयी ६५२ ४८ पुद्गलविपाकी प्रकृति प्रचला प्रचलाप्रचला प्रत्यनीक प्रत्याख्यानावरण प्रत्येकपद प्रत्येकशरीरनाम प्रदोष प्रायोपगमन १३, २४ १३, २४ ११५१ २६ १२०२ २२, ६७४ बन्ध बन्धननाम २८ बालतप [न] नपुंसकवेद २६ नयवाद १२४५ नरकगतिनाम २७ नानागुणहानि १२८० नामकर्म ६,७, ९, १०, १६ नाममल नारकायु नाराच संहनन नाम निकाचितकरण निद्रा १३, २४ निद्रानिद्रा १२, २४ निधत्तिकरण निह्नव ११५१ निरन्तरबन्धी ६५२ निर्माणनाम __ ३२ निषेक १८७ नीचगोत्र ३३ नोआगम द्रव्यकर्म ४६, ५० नोआगम भावकर्म ५१ नोकर्म तद्व्यतिरिक्त ५० नोकपाय वेदनीय (स्वरूप) २५ (भेद) १६,२६ [भ] भक्त प्रतिज्ञा २७ ६७२ जाति नाम १७, २७ जातिपद भंग जात्यन्तर सर्वघाती ३६ जीवविपाकी जुगुप्सा [त] तद्व्यतिरिक्त नोआगमकर्म ५० तिर्यग्गच्छ १२५१ तिर्यग्गति नाम तिर्यश्चायु तीर्थकरत्व नाम तैजस शरीर नाम त्यक्त शरीर त्रस नाम श्रीन्द्रिय जाति नाम [व] दर्शन मोहनीय १३, २४ दर्शनावरण दुर्भगनाम दुःस्वर नाम देवगति नाम भय ३२ ४८ भवविपाकी भावकर्म भुजकार बन्ध ६८६, ७०० [म] मतिज्ञानावरण २३ मध्यमधन १२९७ मनःपर्ययज्ञानावरण मनुष्यगतिनाम मनुष्यायु मिथ्यात्व प्रकृति मोहनीय (भेद) जी [१] पञ्चेन्द्रिय जातिनाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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