Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका असंयत
। देशसंयत .१३
२ २।२ २।२
२।२ १।१।१ १११ १११११ १११११
११११ १११११ ३।३।३।३ । ३।३।३।३ । ३।३।३।३ । २।२।२।२ । २।२।२।
२ २ ।२।२।२ श२।३।४।५।६ १।२।३।४।५।६/१०३।४।५।६ श२।३।४।५ | ११२।३।४।५ ।२।३४।५ शशशशशशशशशश१ | २१०१।१।१११ शशशश११ । १शश११।१।११।१।१।१।शश
२।२
२२
प्रमत्तसंयत । ११ ।
अप्रमत्तसंयत ९ । ९
। अपूर्वकरण
११
।
११
।
२।२
२२ | १२ | २ | २ | २२ । २२ २२२ २ | १।१।
१ १।११ | १.१११ । १११११ १।११ | १११११ | १११११ २१।१ । १।१।१ १११११११।११११।२१११।११।११।११।११।१।११११११११११।११ | १।१।११
त्रिमिश्रयोगोनानि । असंयते एतानि सत्रिमिश्रयोगानि । देशसंयते एतानि चतुरप्रत्याख्यानत्रसासंयमवक्रियिककायत्रिमिश्रयोगोनानि । प्रमत्ते एतान्येकादश संयमचतुःप्रत्याख्यानोनं वाहारकद्वययुतानि । अप्रमत्तादिद्वये एतान्याहारकद्वयोनानि । अनिवृत्तिकरणे तत्तद्भागादुपरि तत्तद्वेदकषायहास्यादिषट्कं विना कूटमेकैकमेव भयद्विकाभावात् । सूक्ष्मसाम्पराये तदेव बादरलोभोनं । उपशान्तकषायादिद्वये एतदेव सूक्ष्मलोभोनं । सयोगे
होता है इससे तेरहके स्थानपर दस ही योग लिखना। इस तरह मिथ्यादृष्टिमें छह कूट ५ होते हैं । सासादनके तीन कूटोंमें मिथ्यात्वके स्थानपर शून्य लिखो।
___ मिश्रमें अनन्त्रानुबन्धी नहीं है अतः चार-चार कषायोंके स्थानपर तीन-तीन ही लिखो। तथा तीन मिश्रयोग न होनेसे तेरहके स्थानपर दस योग लिखो। ऐसे तीन कूट करो। असंयतमें तीनों मिश्रयोग होते हैं अतः तेरह योग लिखकर तीन कूट करो। देशसंयतमें चार अप्रत्याख्यान काय नहीं है अतः चारके स्थान पर दो-दो कषाय लिखो। तथा त्रसहिंसा १० नहीं है इससे कायबधमें छहका अंक नहीं लिखना। तथा तीन मिश्रयोग और वैक्रियिक योग नहीं होता इससे तेरह के स्थानमें नौ योग लिखना। ऐसे तीन कूट करना। प्रमत्तमें बारह अविरति नहीं हैं अतः इन्द्रिय और कायबधके स्थानमें शून्य लिखना। प्रत्याख्यान कषाय भी नहीं अतः एक ही कषाय लिखना । आहारकद्विकके होनेसे योग ग्यारह लिखना। ऐसे तीन कुट बनाना। अप्रमत्तमें आहारकद्विक नहीं अतः योग नौ ही लिखना। ऐसे तीन कट १५ करना । अपूर्वकरणमें भी ऐसे ही तीन कूट करना।।
अनिवृत्तिकरणमें जिस-जिस भागमें वेद, कषाय और हास्यादि छहका अभाव हुआ हो उस-उस भागमें उस-उस जगह शून्य लिखना। और एक-एक ही कूद करना, क्योंकि यहां भय-जुगुप्साका अभाव है। सूक्ष्म साम्परायमें बादर लोभ नहीं है, सूक्ष्म लोभ है। अतः कषायोंके स्थानमें तीन जगह शून्य और एक जगह एकका अंक लिखना। इस तरह एक कूट २० करना । उपशान्त कषाय भीण कषायमें सूक्ष्म लोभ भी नहीं है। अतः कषायोंके स्थानपर
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