Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गोकर्मकाणे
पांच कम लक्ष
ल
-५ अथवाल
:यहां सीधी लकीरके स्थानमें चन्द्रकलाका संकेत दिया है।
पल्यकी वर्गशलाकाकी ) अर्द्धच्छेद राशिसे हीन पल्यकी अर्द्धच्छेदराशि)
: इसे Log२ प- Log२ Loga Log२ प लिख .. सकते हैं।
पाँच गुणा लाख
ल ५
असंख्यातगुणा घनलोक
व
: यहां ५ का गुणा इकाई की ओरसे किया गया है । : इसे श्रे ३ व भी लिख सकते हैं ।
पल्यका संख्यातवा भाग
: विभाजनकी यह संदृष्टि बहषा उपयोगमें लायी जाती रही है। इसे प रूपमें भी लिखा जा सकता है।
जगश्रेणीका संख्यातवा भाग
: इसे
श्रे
भी लिखा जा सकता है।
केवलज्ञानका अनन्तर्वा भाग
के
: इसे
के रूपमें लिख सकते हैं।
बादाल वर्ग
४२ = ४२ -
: स्पष्ट है कि यहाँ बादालको वगित किया गया है। यह [ २३२ ]२, राशि है।
धनांगुलके संख्यातवें भागके धनको संदृष्टि
: इसे अं3
अं3
अं3 रूपमें भी लिखा जा
सकता है । इस प्रकार घनके लिए उसी राशिको तीन बार उक्त रूपमें लिखा जाता है।
अब कुछ उदाहरण देते हुए उपर्युक्त संदृष्टिके प्रयोग दिखाते हैं -
ल ३ ल १०००
इसे
ल ( ३ ) ल ( १००० + १ ) (१०) (१००-१)
१०ल १००
- रूपमें समझेंगे ।
अं3 आ3(a+१)
६।८।व
व.
अथवा
- रूपमें होगा।
व
व
(-)
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