Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गणितात्मक प्रणाली
१४३१
विगत पृष्ठों में अघः प्रवृत्तकरण सम्बन्धी संदृष्टि बतलायी गयी है । यहाँ अपूर्वकरणके सम्बन्धमें गणितीय प्रक्रिया बतलायेंगे ।
अर्थ संदृष्टि द्वारा अपूर्वकरण में समस्त परिणामधन 3 a गुणित आबली प्रमाण, अपूर्वकरणका कालमात्र आ ११ होता है । जगश्रेणी और a असंख्यात है ।
१
इस प्रकार चय
इसी प्रकार,
चयघन =
=
=
= श्रे3
गच्छ
२
=
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११
श्रे
= (" "2 — ')
)
(*~* • *3 a (22) (आ ११)
२
(आ
आगे, सर्वधन - चयधन
_ a 3 a
(आ नृ) (आ 22 ) (2) (२)
aa
सर्व द्रव्य (गच्छ ) र ( संख्यात) (आ 22 ) (आ ११) (2)
(चय ) ( गच्छ )
3 a 3 a (आ ११ – १) (आ ११) (२) (२)
a श्रे a
(आ 22 – १) (आ ११)
=
3 a 3 a (आ ११ – १) (आ 22 ) (2) (२)
3 a 3 a [ आ ११ { (१) (२) (आ 22 ) (१) (२)
अब प्रथम समय सम्बन्धी परिणाम संख्या
3 a 3 a (आ ११) (2) (२) श्रे ३ a 3 a (आ ११ – १) (आ १२) (2) (२)
सर्वधन - चयधन
गच्छ
3 a होता है । गच्छ दो बार संख्यात यहाँ १ संख्यात है । आ आवलि, श्रे
aa [आ] 22 { (१) (२) १ } + 3 a 3 a (आ 2) (2) (२)
१ } + १]
(2) ) (आ
-
-) (आ 22)
_ 3 a 3 a [आ १३{ (१) (२) - १३ + १] (आ ११) (आ 22 ) (2) (२)
१. यहाँ चय निकालनेमें सूत्रमें जो संख्यातका उपयोग हुआ है, वह महत्त्वपूर्ण है । कुट्टीकार विधिसे इसका ठीक मान निकालना महावीराचार्यने गणितसार संग्रहमें बतलाया है, क्योंकि यह एक अज्ञात राशि है । क - १८०
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