Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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१ चयधनमिवु १ । ३ । ४ अपर्वात्ततमिदं ३ द्रव्यबोळु कळेदोडिनितक्कु- ८३ मिदं पर्दादिदं
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४ । २
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गो० कर्मकाण्डे
भागसिदोडादि धनमक्कु ८-३ द्वितीयादिखंडंगळेकैकचयाधिकंगळवु । द्वितीयनिषेकद्रव्यमि
४।२
२
८–३ द्वितीयादि
४ । २
खंडगळे केकचयाधिकंग कंप्पुवु । प्रथमगुणहानिचरम निषेकद्रव्यमिदु । ८ । २ ।
२ चयधनमनिदं ३ कळेदु पर्दाददं भागिसि वोडादिखंडप्रमाण मिनितक्कु
८
२
५ कळेदु पर्दाददं भागिसिदोडादिखंडप्रमाणमिनितक्कुं ८।२।३ द्वितीयादिखंडंगळ मेकैकचया घि
४ |२
कंगळागुत्तं पोगि चरमखंडबोळे रूपोनगच्छमात्र चयंगळ धिकंगळप्पुवु । समुच्चय संदृष्टि :
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चयधनमनिदं । ३
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१
१
अंकसंदृष्टी प्रथमगुणहानी प्रथमनिषेके ८ चयधनेना १ । ३ । ४ पतितेनो ३ ने ८-३ पदेन ४ ४।२
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२
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भक्ते प्रथमखण्डं भवेत् ८ ३ द्वितीयादिखण्डमेकैकचयाधिकं भवति । समुच्चय संदृष्टि:४।२
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जोड़कर आधा करो। फिर एक होन अनुकृष्टिके गच्छ प्रमाण गच्छसे गुणा करो तब चय१० धनका प्रमाण होता है। सो आदिधन और चयधनको मिलानेपर प्रथम गुणहानिके अन्तिम निषेकका प्रमाण होता है । इस प्रकार प्रथम गुणहानिमें अनुकृष्टि रचना कही । अब इस कथनको अंकसंदृष्टिके द्वारा दिखाते हैं
प्रथम गुणहानिमें प्रथम निषेकका प्रमाण नौ है । यही द्रव्य है । ऊर्ध्व चय एक है उसमें अनुकृष्टि गच्छ चारका भाग देनेसे अनुकृष्टि चय एकका चतुर्थांश हुआ । 'व्येकपदार्धन' १५ इत्यादि सूत्र के अनुसार चयधन डेढ़ हुआ । उसे सर्वधन नौमें से घटानेपर साढ़े सात रहे । उसमें अनुकृष्टि गच्छ चारसे भाग देनेपर प्रथम खण्डका प्रमाण एक अष्टमांशसे होन दो हुआ । उसमें चतुर्थांश प्रमाण अनुकृष्टिका एक-एक चय मिलानेपर द्वितीयादि खण्ड होते हैं। चारों खण्डों को जोड़ने पर नौ होता है। इसी प्रकार अन्तिम निषेकका द्रव्य सोलह है । उसमें चयधन डेढ़ घटाने पर साढ़े चौदह शेष रहे । उसमें अनुकूष्टि गच्छ चारका भाग देनेपर एक२० अष्टमांश अधिक साढ़े तीन पाये । यही प्रथम खण्डका प्रमाण है । उसमें चतुर्थांश मात्र एकएक चय बढ़ानेपर द्वितीयादि खण्ड होते हैं। चारों खण्डोंका जोड़ सोलह होता है । यहाँ जो आधा या चौथाई कहा है सो अर्थसंदृष्टि द्वारा समझने के लिए कहा है । अर्थसंदृष्टि तो महापरिमाणरूप है अतः उसमें आधा चौथाई - जैसा कुछ नहीं है ।
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