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________________ १३७४ १ चयधनमिवु १ । ३ । ४ अपर्वात्ततमिदं ३ द्रव्यबोळु कळेदोडिनितक्कु- ८३ मिदं पर्दादिदं ४ ४ । २ २ २ गो० कर्मकाण्डे भागसिदोडादि धनमक्कु ८-३ द्वितीयादिखंडंगळेकैकचयाधिकंगळवु । द्वितीयनिषेकद्रव्यमि ४।२ २ ८–३ द्वितीयादि ४ । २ खंडगळे केकचयाधिकंग कंप्पुवु । प्रथमगुणहानिचरम निषेकद्रव्यमिदु । ८ । २ । २ चयधनमनिदं ३ कळेदु पर्दाददं भागिसि वोडादिखंडप्रमाण मिनितक्कु ८ २ ५ कळेदु पर्दाददं भागिसिदोडादिखंडप्रमाणमिनितक्कुं ८।२।३ द्वितीयादिखंडंगळ मेकैकचया घि ४ |२ कंगळागुत्तं पोगि चरमखंडबोळे रूपोनगच्छमात्र चयंगळ धिकंगळप्पुवु । समुच्चय संदृष्टि : · चयधनमनिदं । ३ २ १ १ अंकसंदृष्टी प्रथमगुणहानी प्रथमनिषेके ८ चयधनेना १ । ३ । ४ पतितेनो ३ ने ८-३ पदेन ४ ४।२ २ २ -¿ भक्ते प्रथमखण्डं भवेत् ८ ३ द्वितीयादिखण्डमेकैकचयाधिकं भवति । समुच्चय संदृष्टि:४।२ Jain Education International जोड़कर आधा करो। फिर एक होन अनुकृष्टिके गच्छ प्रमाण गच्छसे गुणा करो तब चय१० धनका प्रमाण होता है। सो आदिधन और चयधनको मिलानेपर प्रथम गुणहानिके अन्तिम निषेकका प्रमाण होता है । इस प्रकार प्रथम गुणहानिमें अनुकृष्टि रचना कही । अब इस कथनको अंकसंदृष्टिके द्वारा दिखाते हैं प्रथम गुणहानिमें प्रथम निषेकका प्रमाण नौ है । यही द्रव्य है । ऊर्ध्व चय एक है उसमें अनुकृष्टि गच्छ चारका भाग देनेसे अनुकृष्टि चय एकका चतुर्थांश हुआ । 'व्येकपदार्धन' १५ इत्यादि सूत्र के अनुसार चयधन डेढ़ हुआ । उसे सर्वधन नौमें से घटानेपर साढ़े सात रहे । उसमें अनुकृष्टि गच्छ चारसे भाग देनेपर प्रथम खण्डका प्रमाण एक अष्टमांशसे होन दो हुआ । उसमें चतुर्थांश प्रमाण अनुकृष्टिका एक-एक चय मिलानेपर द्वितीयादि खण्ड होते हैं। चारों खण्डों को जोड़ने पर नौ होता है। इसी प्रकार अन्तिम निषेकका द्रव्य सोलह है । उसमें चयधन डेढ़ घटाने पर साढ़े चौदह शेष रहे । उसमें अनुकूष्टि गच्छ चारका भाग देनेपर एक२० अष्टमांश अधिक साढ़े तीन पाये । यही प्रथम खण्डका प्रमाण है । उसमें चतुर्थांश मात्र एकएक चय बढ़ानेपर द्वितीयादि खण्ड होते हैं। चारों खण्डोंका जोड़ सोलह होता है । यहाँ जो आधा या चौथाई कहा है सो अर्थसंदृष्टि द्वारा समझने के लिए कहा है । अर्थसंदृष्टि तो महापरिमाणरूप है अतः उसमें आधा चौथाई - जैसा कुछ नहीं है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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