Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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१४०२
गो० कर्मकाण्डे
पल्य राशिकी अर्द्धच्छेद राशि
पल्यकी वर्गशलाका राशि
सागरकी अर्द्धच्छेद राशि
छे
सागरको वर्गशलाका राशि
सूच्यंगुलकी अर्द्धच्छेद राशि
: पल्य राशिको तबतक अद्धित किया जाता है जब
तक १ प्राप्त न हो। जितने बार इस विधिमें अद्धित किया गया वही संख्या अर्द्धच्छेद है। यथा-१६ या २४ के अर्द्धच्छेद ४ होते हैं। इसका संकेत log, प सरल है। : पल्यकी अर्द्धच्छेद राशिकी भी अर्द्धच्छेद राशिको
वर्गशलाका राशि कहते हैं । इसे log log२ प द्वारा भी निरूपित किया जा सकता है । : यहाँ सागरकी अर्द्धच्छेद राशि पल्यकी अर्द्धच्छेद
राशिसे संख्यात अधिक है। अस्तु इसे सरल रूपमें logs +1 भी लिखा जा सकता है। : इसे log log३ सा लिखा जा सकता है। पण्डित टोडरमलने लिखा है कि सागरकी वर्गशलाका राशि
नहीं होती है। : इसे log२ log२ प भी लिखा जा सकता है क्योंकि पल्यको अर्द्धच्छेद राशिका वर्ग ही सूच्यंगुलकी अर्द्धच्छेद राशि है । पुनः इसे log२ अं भी लिखा जा सकता है। इस प्रकार अंगुल स्थित प्रदेश राशिका सम्बन्ध पल्य गत समय राशिसे स्थापित किया गया है। : इसे loglog३ अं लिखा जा सकता है। वस्तुतः पल्यकी अर्द्धच्छेद राशि log२ प के वर्ग log२ 4 log२ प के अर्द्धच्छेद पुनः करनेपर २ log३ log२ प प्राप्त होता है जो पल्यकी वर्ग
शलाका राशिका द्विगुणित है । : इसे log, (अं) लिखा जा सकता है । इस प्रकार
स्पष्ट है कि यह अंगुलकी अद्धच्छेद राशिका द्विगणित है। logarithm के नियमोंसे समझ लेना चाहिए। (धवला पु०४ में शलाका गणन ( लघुरिक्थ ) के नियम डा. ए. एन. सिंहके प्रस्तावना
रूप लेखमें देखिए ) : इसे log२ log२ (अं) भी लिखा जा सकता है । स्पष्ट है कि इसका मान १ + log. log२ (अं) अथवा १+ व २ है। इसे १+२ log, log: प भी लिख सकते हैं।
सूच्यंगुलकी वर्गशलाका राशि
व२
प्रतरांगुलकी अर्द्धच्छेदराशि
प्रतरांगुलकी वर्गशलाका राशि
१-व २
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