Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
१२७५ आयुज्जितसप्तमूल प्रकृतिगळ स्थिति कोटोकोटिसासरोपमंगळगे शतवर्षमावायक्कमंतागुत्तं विरलु तत्प्रतिभागदिदं शेषस्थितिगळ्गेयुमावाधाप्रमाणमरियल्पडुगु-। मदें तवोगेंदु कोटोकोटिसागरोपमस्थितिगे उदयमं कुरुत्ताबाध वर्षशतप्रमितमागुत्तिरलु ज्ञानदर्शनावरणवेवनीयांतरायंगळ मूवत्तुं कोटोकोटिसागरोपमंगळ्गेनिताबाधेयक्कु, दितु राशिकं माडल्पडुत्तिरला कोटोकोटिसागरापमंग प्रतिभागमप्पुवु। भागहारंगळप्पुवे बुदत्यं । प्र= सा को २।फ। आ- ५ वर्ष १०० । इ-सा ३० । को २। लब्धमाबाधे मूर सासिर वर्षगळप्पुवु। ३०००। ई प्रकारदिवं मोहनीयदेप्पत्तु कोटोकोटिसागरोपमंगळाबाधे सप्तसहस्रवर्षगळप्पुवु । व ७००० । नामगोत्र गळिप्प तुकोटोकोटिसागरोपमंगळ्गाबाधे येरडु सासिरवर्षगळप्पुवु। व २००० ॥ मत्तमाबावाविशेषमं पेळवपरु :
अंतो कोडाकोडिविदिस्स अंतोमुहुत्तमाबाहा ।
संखेज्जगुणविहीणं सव्वजहण्णट्ठिदिस्स हवे ॥९१६॥ अंतःकोटीकोटिस्थितेरंतर्मुहूर्त आबाधा । संख्येयगुणविहीना सर्वजघन्यस्थितेर्भवेत् ॥
अंतःकोटीकोटिसागरोपमस्थितिगे आबाधेयंतर्मुहूर्त प्रमितमक्कु-। मंतागुत्तं विरलु सर्वः जघन्यस्थितियु संख्यातगणहोनांतःकोटीकोटिसागरोपमंगळप्पु वदक्काबाधेयं संख्यातगुणहीनां. तम्र्मुहूर्त्तमक्कुमदेत दोडे-ओंदु वर्षक्क दिनंगळ मूनूररुवतु ३६० । ओंदु दिनक्के मूवत्त मुहूर्त. १५ गळु । ३० । नूरु वर्षगळ्गे पत्तलक्षमु मे भत्तुसासिर मुहूत्तंगळप्पुवु । १०८०००० ।। इन्नु त्रैराशिकं
आयुषः पृथग्वक्ष्यतीति सप्तमूलप्रकृतीनामुदयं प्रत्याबाधा कोटिकोट्यब्धिस्थितेवर्षशतं स्यात् । शेषस्थितीनामपि तत्प्रतिभागेन ज्ञातव्या । तद्यथा-एककोटोकोट्यब्धीनां वर्षशतमाबाधा तदा द्वयावरणवेदनीयां. तरायाणां त्रिंशत्कोटीकोट्यब्धीनां कियतीति लब्धा त्रिसहस्रवर्षाणि व ३०००। एवं मोहनीयस्य सप्ततिकोटीकोट्यब्धीनां सप्तसहस्रवर्षाणि व ७०००। नामगोत्रयोविंशतिकोटीकोटयब्धीनां द्विसहस्रवर्षाणि व २००० २० ॥९१५।। पुनविशेषमाह
सागरोपमानां कोटेरधिकायाः कोटाकोटेहीनायाः स्थितेरंतःकोटाकोटित्वादेककांडकायाम ७४०७४०७
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आयुकर्मका कथन अलगसे करेंगे । अतः सात मूलकोंकी आबाधा उदयकी अपेक्षा एक कोडाकोड़ी सागरकी स्थितिमें सौ वर्ष है । शेष स्थितियोंकी भी आबाधा इसी प्रतिभागके अनुसार जानना । जो इस प्रकार है
एक कोड़ाकोड़ी सागर स्थितिकी आबाधा सौ वर्ष है तो ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय अन्तरायकी तीस कोड़ाकोड़ी सागर स्थितिकी कितनी आबाधा होगी? यहाँ प्रमाणराशि एक कोड़ाकोड़ी सागर, फलराशि सौ वर्ष, इच्छाराशि तीस कोडाकोड़ी सागर । फलसे इच्छाको गुणा करके प्रमाण का भाग देनेपर तीन हजार वर्ष की आबाधा होती है। इसी प्रकार मोहनीयकी सत्तर कोड़ाकोड़ी सागर स्थितिकी सात हजार वर्षे आबाधा होती है। ३० नाम और गोत्रकी बीस कोडाकोड़ी सागर स्थितिकी दो हजार वर्ष आबाधा होती है ॥९१५॥
कुछ विशेष कहते हैंएक कोटिसे ऊपर और कोड़ाकोड़ीसे नीचेको अन्तःकोटाकोटी कहते हैं। अन्तःकोटा
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