Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे
सर्वमूलप्रकृतिगळ्गमुत्तरप्रकृतिगळगं निषेकहारमुमेकगुणहान्यायाममुं समानंगळवु । नानागुणहानिशलाकेगळ्गे स्थित्यनुसारमुंटप्पुरिदं विसदृशंगळप्पुवदु कारणमागिया नानागुणहानिशलार्कगळं पेळदपेमेंदु मुंदण सूत्रंगळोळ पेन्दपरु।:
मिच्छस्सत्त य उत्ता उवरीदो तिण्णि तिण्णि सम्मिलिदा ।
अद्वगुणेणूणकमा सत्तसु रयिदा तिरिच्छेण ॥९३३॥ मिथ्यात्वकर्मणश्चोक्ता उपरितस्त्रयस्त्रयः सम्मिलिताष्टगुणेनोनक्रमाः सप्तसु रचितास्तिरश्चा॥
__मिथ्यात्वकर्मदुत्कृष्टस्थितिगे मुंपेळल्पट्ट नानागणहानिशलाकंगळु एतादुव दोडे द्विरूपवर्गधारयोळु पल्यवर्गशलाकाराशियादियागि पल्यप्रथममूलपयंतमाद राशिगळर्द्धच्छेदंगळु तत्पल्य१० वर्गशलाका व छे ईच्छेदराशियादियागि पल्यालुच्छेदराश्यर्द्धपय्यंतं द्विगुणद्विगुणक्रमदिदमिई
तदर्द्धच्छेदराशिगळं स्थापिसल्पडुत्तिरलुभयराशिगळं कर्मादमितिप्पुवु :
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व वव१ । वर| व३ । व४ । व५ । व६ । ७ व८ । -वछे वछे२ वछे४ वछे ८ वछे१६ वछे३२ | वछे६४ वछे१२८ वछे२५६ - वछे ७ वछे८।७।
वछे८।८।७
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०००००० | मूल९ मूल८ मूल मूल६ मूल५ मूल४ मूल३ मूल२ मूल१/प ०००२०० द छेद छेद छेद छेद छेद छेद छेद
| २८ । २७/ २६ २५ | २४ | २३ । २२ २ ००००००
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छे ७ 1८1८1१ ८।८।१
८।१।
सर्वमूलोत्तरप्रकृतीनां निषेकहारः एकगुणहान्यायामश्च द्वो सदृशो। नानागुणहानिशलाकाः स्थित्यनुसारित्वाद्विसदृशाः स्युः । ता वक्ष्यामि ॥९३२।।
मिथ्यात्वस्य ये पल्यवर्गशलाकादितत्प्रथममूलांतानां द्विगुणद्विगुणार्धच्छेदा उक्तास्ते संस्थाप्य उपरि
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सब मूल प्रकृतियोंका निषेकहार अर्थात् दो गुणहानि और एक गुणहानि आयाम ये दोनों समान हैं। किन्तु नानागुणहानि शलाका स्थिति के अनुसार होनेसे समान नहीं हैं। अतः उनको कहते हैं ॥९३२॥
मिथ्यात्व प्रकृतिका पल्यकी वर्गशलाकासे लेकर पल्यके प्रथममूलपर्यन्त अर्द्धच्छेद दूने-दूने कहे थे। उन्हें स्थापन करके ऊपरसे अर्थात् पल्यके प्रथममूलसे लगाकर तीन-तीन २० वर्गस्थानोंकी अद्धच्छेद राशिको मिलानेपर वे क्रमसे आठ-आठ गुना घाट होते हैं ।
वही कहते हैं
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