Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 697
________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका १३२५ अनंतरं प्रतिसमयमुदयमुं बंधमुमेकसमयप्रबद्धमप्पुरि वर्तमानसमयदोळु बंधोदयात्मकमेकसमयप्रबद्धसे सत्वमक्कुम ब शंकेयं परिहरिसि सत्वं प्रतिसमयं किंचिदूनद्वचर्द्धगुणहानिमात्रसमयप्रबद्धमेंदु तत्प्रमाणक्कुपपत्तियं तोरिदपरु ।: सत्तं समयपबद्धं दिवड्ढगुणहाणि ताडियं ऊणं । तियकोणसरूवट्ठिददव्ये मिलिदे हवे णियमा ।।९४३॥ सत्वं समयप्रबद्धो द्वयर्द्धगुणहानिताडित ऊनः। त्रिकोणस्वरूपस्थितद्रव्ये मिलिते भवेन्नियमात् ॥ भत्वा सम्पूर्ण कसमयप्रबद्धद्रव्यं स्यात इति प्रतिसमयमेकैकसमयप्रबद्ध उदेति । एकैश्व बध्नाति । संदष्टिः ९ 1010101 ९।१०।०10100 ९ ।१०।११।०10101 ३५२ । ३८४ ९ ।१०।११।१२।०1०101 ३८४ । ४१६ । ९।१०।११।१२।१३1010101 ९।१०।११।१२।१३।१४।०101010101२४०।२५६।२८८ । ३२० । ३५२ । ३८४ । ४१६ । ४४८ । ९ १० ११।१२।१३।१४।१५1०1०1०1०1०।२५६।२८८१३२० । ३५२ । ३८४ । ४१६ । ४४८ । ४८० । ९।१०।११।१२।१३।१४।१५।१६:०१० ०1०1०।२८८।३२०।३५२ । ३८४ । ४१६ । ४४८ । ४८० । ५१२ । ३८४ । ४१६ । ४४८ ४१६ । ४४८ । ४८० ४४८।४८०। ५१२ ४८० । ५१२। ० ५१२। ० । ० ४८० ५१२ ५१२ ०००० ००००० ॥२४२।। अथ बन्योदययोः प्रतिसमयमेकैकः समय प्रबद्धोऽस्तीति तदुभयात्मकं सत्त्वमपि च वर्तमानसमये तापदेव भविष्यतीति गं परिहतुं सोपपत्ति तत्प्रमाणमाह रूप एक-एक निषेक मिलकर सम्पूर्ण एक समयप्रबद्ध प्रमाण द्रव्य होता है। उसका वर्तमान समय में उदय होता है । इस प्रकार प्रति समय एक-एक समयप्रबद्धका उदय होता है और प्रति समय एक-एक समयप्रबद्धका ही बन्ध होता है ।।९४२।। यतः प्रतिसमय एक-एक समयप्रबद्धका बन्ध और उदय होता है इससे उन दोनोंका समुदायम्प सत्त्व भी उतना ही होगा, ऐसा सन्देह दूर करनेके लिए कहते हैं १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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