Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
१३२९ निषेकाधिककदिदं होनंगळप्पुवंतागुत्तं । ५१२ | ७ | विरला होननिषेकंगळं ऋणमनिक्किदोर्ड
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प्रथमगुणहानिधनं ऋणसहितमा ५१२ गि गुणहानिमात्रसमयप्रबद्धंगळप्पुवु । ६३००। ८ । इल्लि
३२।१६ प्रथमनिषेकदोळ ऋणमिल्लप्पुरिदं द्वितीयादिनिषेकंगळोळे कायेकोत्तरमागि समयप्रबद्धप्रथमनिषेकंगळिक्कल्पटुविवं संकलिसिदोर्ड रूपोनगच्छेय एकवारसंकलनमात्रंगळप्पु ५१२ विल्लि प्रयमनिषेक, दोगुणहानिमात्रवयंगळप्पुरिदं भेविसि स्थापिसिदोडे ऋणमिनितक्कुं। ५ ३२।८।२।८।८ अदेतेदोडिल्लियं तृतीयादिनिषेकंगळोळ संकलनात्थं द्विकवारसंकलनक्रम
नानासमयप्रबद्धसम्बन्ध्येकैको निषेको मिलित्वा सम्पूर्णसमयप्रबद्धः स्यात् । द्वितीयादिनिषेषु प्रथमादिनिषेकः क्रमेणकैकाधिकरूनोऽस्तीति तावति ऋणे निक्षिप्ते प्रथमगुणहानिधनं ऋणसहितगुणहानिमात्रसमयप्रबद्धं भवति । ६३०० । ८ तदणं त्वेकोत्तररूपोनगुहानिगच्छक्रमेण प्रथमनिषेकान
५१२ । ७ ५१२।६ ५१२ । ५ ५१२।४ ५१२।३ ५१२।२ ५१२।१
संकलय्य ५१२८। ८ अवस्थप्रथमनिषेकं दोगुणहान्या संभेद्य ३२। ८।२।८।८। उपर्यधस्त्रिभिः १०
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रहता है। उसमें प्रथम गुणहानिके प्रथम निषेकमें अनेक समयप्रबद्धोंका एक एक निषेक मिलकर सम्पूर्ण समयप्रबद्धका प्रमाण होता है। तथा द्वितीयादि निषेकोंमें प्रथमादि निषेकोंसे क्रमसे एक-एक अधिक चय घटता होता है । इस घटते हुए प्रमाणको ज्योंका त्यों मिलानेपर प्रथम गुणहानिका जोड़ गुणहानिसे गुणित समयप्रबद्ध प्रमाण होता है । यहाँ अंकसंदृष्टिके द्वारा कथन दिखानेपर आठ गुणा तिरसठ सौ होता है। इसमें से जितना घटाना है उसे १५ ऋण कहते हैं । उसका प्रमाण कहते हैं
____एक हीन गुणहानिके प्रमाण रूप गच्छ में क्रमसे एकको आदि देकर एक-एक अधिकसे गुणित प्रथम निषेकका जोड़ दो। सो पाँच सौ बारहको क्रमसे एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सातसे गुणा करके जोड़ दो। तब पाँच सौ बारहको एक हीन आठ और आठसे गुणा
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