Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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१२८०
गो० कर्मकाण्डे
अल्लि द्रव्यादिगळ्गंकसंदृष्टियं पेन्दपरु :
तेवट्ठि च सयाई अडदाला अट्ठ छक्क सोलसयं ।
चउसर्डिं च विज़ाणे दव्वादोणं च संदिट्ठी ॥९२३।। त्रिषष्टि च शतानामष्टचत्वारिंशदष्टौ षट्कं षोडशचतुःषष्टि चापि जानीहि द्रव्यादीनां ५ च संदृष्टि।
त्रिशतोत्तर षट्सहस्रंगळु नाल्वत्ते टुमेंटुमारं पदिनारुमरुवत्तनाल्कु क्रमदिदं द्रव्यादिगळिगे संदृष्टियप्पुर्वेदु नोनरि शिष्या ? येदिताचार्यानिदं संबोधिसल्पढें। अंकसंदृष्टि द्रव्य ६३०० स्थिति ४८ गुणहा ८ नाना गुणहा ६ | दोगुणहा १६ ।
गुण=प १ | नाना गुणहा=| दोगुणहा प २२/अर्थसंदृष्टि | द्रव्य स ० स्थिति प१ छ व छे छे व छे । छे व छे
अन्योन्याभ्यस्त ६४
अन्योन्याभ्यस्त प
अनंतरमर्थसंदृष्टिय द्रव्यादिगळ प्रमाणम पेळ्दपरु :
दव्वं समयपबद्धं उत्तपमाणं तु होदि तस्सेव ।
जीवसहत्थणकालो ठिदि अद्धासंखपन्लमिदा ॥९२४।। द्रव्यं समयप्रबद्धः उक्तप्रमाणस्तु भवेत् तस्यैव जीवसहावस्थानकालस्थित्यद्धा संख्यपल्य. मिता॥
तत्रांकसंदृष्टी द्रव्यं त्रिषष्टिशतानि जानीहि स्थितिमष्टचत्वारिंशतं गुणहानिमष्टौ नानागुणहानि षट् दोगुणहानि षोडश अन्योन्याभ्यस्तं चतुःषष्टि ॥९२३॥
१५ कर्मोंकी स्थितिके समयोंके प्रमाणको स्थिति आयाम कहते हैं । जिसमें दूना-दूना घटता हुआ
द्रव्य दिया जाये वह गुणहानि है। उस एक गुणहानिके समयोंका प्रमाण गुणहानि आयाम है। सब स्थितियोंमें जितनी गुणहानियां हों उनका प्रमाण नाना गुणहानि है। गुणहानि आयामके प्रमाणके दूनेको दो गुणहानि कहते हैं। नाना गुणहानि प्रमाण दोके अंक रखकर
परस्परमें गुणा करनेपर जो प्रमाण हो वह अन्योन्याभ्यस्त राशि है ।।९२२।। २० अंकसंदृष्टिके रूपमें द्रव्य तिरसठ सौ, स्थिति अड़तालीस, गुणहानि आयाम आठ,
नानागुणहानि छह, दो गुणहानि सोलह और अन्योन्याभ्यस्तराशि चौंसठ जानना ॥९२३॥
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