Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे
इंतु भगवदहंत्परमेश्वर चारुचरणारविंदद्वंद्ववंदनानंदितपुण्य पंजायमानश्रीमद्रायराजगुरु मंडलाचार्य्यमहावाद वादोश्वररायवादीपितामह सकलविद्वज्जनचक्रवत्तिश्रो मद भयसूरिसिद्धांत चक्रवत्तचारुचरणारविंदरजो रंजितललाटपट्टे श्रीमत्केशवण्ण विरचितमप्प गोम्मटसार कर्नाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिर्कयोळ कर्मकांडप्रत्यय महाधिकारं निगदितमादुदु ॥
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इत्याचार्य श्री नेमिचन्द्रविरचितायां गोम्मटसारापरनामपंचसंग्रहवृत्तौ कमकाण्डे प्रत्ययप्ररूपणो नाम षष्ठोऽधिकारः ॥ ६ ॥
इस प्रकार आचार्य श्री नेमिचन्द्र विरचित गोम्मटसार अपर नाम पंचसंग्रहकी भगवान् अर्हन्त देव परमेश्वरके सुन्दर चरणकमलोंकी वन्दनासे प्राप्त पुण्यके पुंजस्वरूप राजगुरु मण्डलाचार्य महावादी श्री अभयनन्दी सिद्धान्तचक्रवर्तीके चरणकमलकी धूलिसे शोमित ललाटवाले श्री केशववर्णीके द्वारा रचित गोम्मटसार कर्णाटवृत्ति जीवतस्व प्रदीपिकाको अनुसारिणी संस्कृतटीका तथा उसकी अनुसारिणी पं. टोडरमलरचित सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका नामक भाषाटीकाकी अनुसारिणी हिन्दी भाषा टोकामें कर्मकाण्डके अन्तर्गत प्रत्ययप्ररूपणा नामक छठा अधिकार सम्पूर्ण हुआ ॥३॥
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