Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे
णत्थि य सत्त पदत्था नियदीदो कालदो तिपंतिभवा । चोद्दस इदि णत्थित्ते अक्किरियाणं च चुलसीदी ||८८५ ||
नास्ति च सप्तपदार्थाः नियतितः कालतस्त्रिपंक्तिभवाः । चतुर्द्दश इति नास्तित्वे अक्रियाणां
चतुरशीतिः ॥
नास्तित्वमं सप्तपदात्थंगळं
नियति । काल २ ॥
जो | अ | आ । बं । नि । बं । मो ७
नास्ति १
को जाणइ णवभावे सत्तमसत्तं दयं अवच्चामिदि । अवयणजुदसत्ततयं इदि भंगा होंति तेसट्ठी ||८८६ ॥
को जानीते नव भावान् सत्वमसत्वं द्वयमवक्तव्यमिति । अवचनयुतसत्वत्रयमिति भंगा भवंति त्रिषष्टिः ॥
जीवाजीवपुण्यपापा व संवर निज्र्ज्जराबंध मोक्षंगळं अस्ति । नास्ति । अस्ति नास्ति । अवक्तव्यं । अस्त्यवक्तव्यं । नास्त्यवक्तव्यं । अस्तिनास्त्यवक्तव्यमे विदनाररिवर 'दु नुडिव वादंगल ९ । ७। लब्ध भंग ६३ अनुवु । जीवोऽस्तीति को जानीते । जीवो नास्तीति को जानीते । जोवोऽस्ति १५ नास्तीति को जानीते । जीवोऽवक्तव्य इति को जानीते । जीवोऽस्त्यवक्तव्य इति को जानीते ।
नियतिकालंगळं मेलं मेले त्रिपंक्तियं माडि स्थापिसि जीवो नियतितो नास्ति क्रियते इत्याद्यक्ष संचारसंजनिना
क्रियावादंगळु पदिनाकुं । ११७ २ । कूडि सर्व्वमुमक्रियावादंगळु चतुरशीति प्रमितंगळप्पुवु । ८४ ॥ अनंतरमज्ञानवाद भेदंगळं पेदपरु :
नास्तित्वं सप्तपदार्थान् नियतिकालो चोपर्युपरिपंक्तीः कृत्वा जीवो नियतितो नास्ति क्रियते इत्याद• यश्चतुर्दश स्युः । इत्येवम क्रियावादाश्चतुरशीतिः ॥ ८८५ || अज्ञानवादस्य भेदानाह
जीवा दिनवपदार्थेष्वेकैकस्य वस्त्यादिसप्तभंगेष्वेकैकेन जीवोऽस्तीति को जानाति ? जीवो नास्तीति को
पहले नास्ति पद लिखो । उसके ऊपर सात पदार्थ लिखो। उसके ऊपर नियति, काल ये दो लिखो । जीव नियतिसे नहीं है, जीव कालसे नहीं है। जीवकी जगह अजीवादि रखने से चौदह भेद होते हैं । इस तरह सब चौरासी भेद होते हैं ।
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विशेषार्थ - अक्रियावादियोंमें दो मत जान पड़ते हैं । एक जो काल आदि पाँचों से जीवादको नास्तिरूप कहते हैं । और दूसरे जो केवल काल और नियतिसे नास्तिरूप कहते हैं ।।८८५।
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अज्ञानवाद के भेद कहते हैं
जीव और नौ पदार्थों में से एक-एकके अस्ति आदि सात भंगों में से एक-एकसे जीव है, ऐसा कौन जानता है । अर्थात् जीव है ऐसा कौन जानता है ? जीव नहीं है ऐसा कौन जानता है । जीव है भी और नहीं भी है ऐसा कौन जानता है। जीव अवक्तव्य है ऐसा कौन जानता है ? जीव अस्ति अवक्तव्य है ऐसा कौन जानता है । जीव नास्ति अवक्तव्य है
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