Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे
अंतर्मुहूर्त कालवर्क पल्यासंख्यातैकभागमं स्थितियनुवेल्लनमं माळकु । मार्तं संख्यातसागरोपमस्थितियर्ननितु कालक्कुद्वेल्लनमं माळकुम वितु त्रैराशिकसिद्धमध्य पत्यासंख्यातेक भागमात्रकालदिदमाळकुर्म' बुदत्थं । आ त्रैराशिकमं माप क्रममे ते वोर्ड उद्वेल्लनकालवोळ संख्यातसागर स्थितिय अग्रभागदोळ पल्यच्छेदासंख्यातैकभागं कांडकरूप केळगघोगलनरूपमं तम्मुंहतं५ मंतरडं कूडि प्रमाणराशियक्कुमंतागुत्तंविरलु फलराशियंत मुहूर्त कालमव कुमिच्छाराशियं संस्थातसागरम पुर्दारदं संख्यात पल्यप्रमितमक्कुमा त्रैराशिकमिदु :
:- प्र२१। फ२१ इप १ लब्ध प
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शन्तर्मुहूर्त कालेन पल्या संख्यातै कभागस्थितिमुद्वेल्लयति । स संख्यातसागरोपमस्थिति कियत्कालेनेति प्रश्ने पत्यासंख्या तकभागेनेत्युत्तरं । तद्यथा-
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अस्याः स्थितेरप्रतनभागे पल्यच्छेदा संख्यातेकभागकांडक अघोगलनरूपान्तर्मुहूर्तेनाषिकं प्रमाणं २१
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पूर्व में बँधी सत्तारूप स्थिति पल्यके असंख्यातवें भाग प्रमाणको उद्वेलना एक अन्तर्मुहूर्त में करता है तो वह संख्यात सागर प्रमाण मनुष्यद्विक आदिको सत्तारूप स्थितिकी
ना कितने कालमें करेगा ? इसका उत्तर इस प्रकार है कि पल्यके असंख्यातवें भागकाल में उस सब स्थितिकी उद्वेलना करता है । उसका विवरण इस प्रकार है
इस स्थितिके अप्रतन भागमें पल्य के अर्धच्छेदोंके असंख्यातवें भाग प्रमाण काण्डक १५ अघोगलनरूप अन्तर्मुहूर्त से अधिक प्रमाण है । उसको प्रमाणराशि करो। उस काण्डकका
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