Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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५
गो० कर्मकाण्डे
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१२ । ९ | १२ । ९६१५
अनंतर मसदृशभंगसंख्येगळं नरकादिगतिगतिगळोळ पेल्दा भंगंगळं गुणस्थानदोळ
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१०
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पण णव णव पण भंगा आउचउक्केसु होंति मिच्छमि । णिरयाउबंध भंगेणूणा ते चैव विदियगुणे ॥ ६४६ ||
पंचनव नवपंचभंगा आयुश्चतुर्षु भवंति मिथ्यादृष्टौ । नरकायुब्बंधभंगेनोनास्ते चैव द्वितीय
गुणे ॥
नरतिर्यग्गत्योर्नव नव ॥ ६४५ ॥
घटनेपर एक रहा। पूर्वोक्त छह-छह भंगों में से एक-एक घटानेपर पाँच-पांच अपुनरुक्त भंग होते हैं । इसी प्रकार मनुष्यगति और तिर्यञ्जगति में नौ-नौ भंग होते हैं ।
विशेषार्थ — नरकगति में बन्ध एक मनुष्यायु, सत्ता दो मनुष्यायु नरकायु, अथवा बन्ध एक तियंचायु, उदय एक नरकायु, सत्ता दो नरकायु तिर्यंचायु, इस तरह दो बन्धकी अपेक्षा भंग हैं । इसी प्रकार देवगतिमें नरकायुकी जगह देवायु कहना । अबन्धकी अपेक्षा मनुष्यायु तिचायुका बन्ध न होनेसे दो भंग हैं किन्तु दोनों समान हैं क्योंकि दोनों में बन्धका अभाव, उदय अपनी भुज्यमान आयु, सत्ता एक अपनी मुज्यमान आयु ये दो भंग १५ होते हैं । अतः समान होनेसे दोनोंमें एक लिया । उपरतबन्धकी अपेक्षा पूर्व में मनुष्यायु
या तिचायुका बन्ध हुआ । उसकी अपेक्षा दो-दो भंग होते हैं। दोनोंमें बन्धका अभाव, उदय एक अपनी मुज्यमान आयु, सत्ता एक भंगमें अपनी मुज्यमान आयु और मनुष्यायु, दूसरे भंग में अपनी मुज्यमान आयु और तियंचायु इस प्रकार दो भंग हुए। इस प्रकार देव और नारकियों में पाँच-पांच अपुनरुक्त भंग होते हैं । इसी प्रकार मनुष्यगति और २० तियंचगति में बध्यमान आयुके प्रमाणरूप चार गुणकार हैं । उनमें एक घटानेपर तीन रहे । सो पूर्वोक्त बारह-बारह भंगोंमें तीन-तीन घटानेपर नौ-नौ अपुनरुक्त भंग होते हैं । उनमें आयुबन्धकी अपेक्षा नरक तिथंच मनुष्य देवकी आयुके बन्धरूप चार भंग हैं । उनमें से बन्ध तो क्रमसे नरक तिथंच मनुष्य देव आयुका जानना । उदय तिर्यंचगति में तियंचायुका और मनुष्यगति में मनुष्यायुका जानना । सत्ता एक भुज्यमान आयु और एक बध्यमान २५ आयु इस तरह दो-दोकी जानना। उनमें भी जो आयु मुज्यमान हुई वही बध्यमान हो तो वहाँ एक आयुकी ही सत्ता होती है । ऐसे भंग चार हैं। आयुके अबन्ध में चारों आयुका बन्ध नहीं, इस अपेक्षा चार भंग हुए। परन्तु ये चारों समान हैं; क्योंकि सबों में बन्धका अभाव, उदय तथा सत्ता अपनी मुज्यमान आयु एक । अतः चारों में से एक लिया । उपरत बन्धका अभाव, उदय व सत्ता जैसे बन्धकी अपेक्षा कहे वैसे ही जानना । इस प्रकार ३० चार भंग हैं । इस प्रकार मनुष्य और तियंच में नौ-नौ भंग होते हैं ||६४५॥
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