Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे
इल्लि त्रिशत्प्रकृतिस्थान वोळल्पतर गुण्यंगळ ९३७० | गुणकारंगळ ४६४० । नवविंशतिस्थानाल्पतरगुण्यंगळ १२२ । गुणकारंगळ ९२४८ । अष्टाविंशतिस्थानबोळु गुण्यंगळ ११३ । गुणकारंगळ ९ । षड्वंशतिस्थानदोळ गुण्यंगळ ८१ । गुणकारंगळ ३२ | पंचविशतिस्थानवोळ गुण्यंगळ ११ । गुणकारंगळ ७० । गुण्यगुणकारंगळं गुणिसिद लब्धं त्रिशत्प्रकृत्यादिगळोळ क्रर्मादिदं संदृष्टि ५ भंगंगळ मिथ्यादृष्टघल्पतर भंगंगळ ३०४३४७६८००
२९११२८२५६
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२६
२५
१०१७
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ar free गुण्यं ९३७० । गुणकारः ४६४० । नवविंशतिके गुष्यं १२२ गुणकारः ९२४८ । अष्टाविंशतिके गुण्यं ११३ गुणकारी ९ । षविशति के गुण्यं ८१ गुणकारः ३२ । पंचविशति के गुष्टं ११ गुणकारः ७० गुण्यगुणकारे गुणिते त्रिंशत्कादिषु क्रमेण संदृष्टि:
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न सौ अड़तालीस भेद, अठाईसके नौ, छब्बीसके बत्तीस, पचीसके सत्तर तेईसके १० ग्यारह । इच्छाराशि सर्वत्र तीसके छियालीस सौ चालीस भेद । फलराशिको जोड़ने पर रानवे सौ सत्तर हुआ । उसको इच्छारूप छियालीस सौ चालीससे गुणा करनेपर चार कोटि चौतीस लाख छियत्तर हजार आठ सौ हुए । सो इतने तीसके स्थान के अल्पतर हुए । उनतीसका बन्ध करनेके पश्चात् अठाईस आदिका बन्ध करने पर अल्पतर होता है । सो उनतीस के एक भेदका बन्ध करके सब अठाईस आदिके भेद बाँधे तो बानवे सौ १५ अड़तालीस भेदरूप उनतीसका बन्ध करके सबको बाँधे तो कितने भेद हुए इस प्रकार यहाँ चार त्रैराशिक करना । उनमें प्रमाणराशि सर्वत्र उनतीसका एक भेद, फलराशि क्रमसे अठाईसके नौ, छब्बीसके बत्तीस, पचीसके सत्तर तेईसके ग्यारह । इच्छाराशि सर्वत्र उनतीसके बानवे सौ अड़तालीस भेद | फलराशिको जोड़नेपर एक सौ बाईस हुए। उसको इच्छाराशि बानवै सौ अड़तालीस से गुणा करनेपर ग्यारह लाख अठाईस हजार दो सौ २० छप्पन हुए। इतने उनतीसके अल्पतर हैं ।
अठाईसका बन्ध करके छब्बीस आदिका बन्ध करनेपर अल्पतर होता है । सो अठाईसके एक भेदका बन्ध करके सब छब्बीस आदिके भेदोंका बन्ध करे तो अठाईसके
भेदों द्वारा कितना बन्ध हो इस प्रकार यहाँ तीन त्रैराशिक करना । उनमें प्रमाणराशि सर्वत्र अठाईसका एक भेद, फलराशि क्रमसे छब्बीसके बत्तीस, पचीसके सत्तर, तेईसके २५ ग्यारह | इच्छाराशि सर्वत्र अठाईसके नौ । फलराशिको जोड़नेपर एक सौ तेरह हुए । इच्छाराशि नौसे गुणा करनेपर एक हजार सतरह हुए। इतने अठाईसके अल्पतर भंग होते हैं ।
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