Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
९०९
यिल्लि त्रयोविंशत्यादि भुजाकारंगळ त्रैराशिषंगळोळु प्रथमत्रयोविंशतिस्थान भुजाकार यंग पंचविशतिस्थानं मोदल्गोंडु मेले मेले त्रिशत्प्रकृतिस्थानपर्यंतमाद फलभूतस्थानं गळोळ सप्तत्यादि भंगंगळं कूडिदोर्ड पदिमूरु सासिरदोंदु गुंदे सासिरमक्कुमल्लि गुणकारं पन्नों दक्कुं । १३९९९ । ११ । पंचविंशतिभुजाकारगुण्यंगळु फलभूतभंरांग पदिमूहसा सिरदो भैनरिष्यत्तो भत्तक्कु• मल्लि गुणकारंगल एप्प तप्पुवु । १३९२९ । ७० । षड्वशतिस्थान भुजाकारगुण्यंगळु । पविमूरु- ५ सासिर नूरतो भत्तेक्कु मल्लि । गुणकारंगळ मूर्त्तरडक्कुं । १३८९७ । ३२ ॥ अष्टाविंशतिप्रकृतिस्थानद भुजाकारंगळ गुण्यंगळ पविमूरुसासिरखे टु नूरेण्भर्त्त टक्कुमल्लि गुणकारंगळमोंभतक्कुं । १३८८८ । ९ ॥ नवविंशतिस्थानव भुजाकारंगळ गुण्यंगळ नाल्कु सासिरदरुनूर नाव्यत्तक्कुमल्लि गुणकारंगळ मोभत्तु सासिरदिन्नूरनात्वत्त टक्कुं । ४६४० । ९२४८ । आ गुण्यगुणकारंगळं गुणिसिदोर्ड त्रयोविंशति प्रकृतिस्थानव भुजाकारंगळु लक्षमुमय्वत्तमूरु सासिरवो भैतूर भत्तो भत्त- १०
१३९२९ ॥७०1 तदनन्तरत्रैराशिकत्रये त्रयोदश सहस्राष्टशतसप्तनवतयः । गुणकारो द्वात्रिंशत् । १३८९७ |३२| तदनन्तर राशिकद्वये गुण्यं त्रयोदशसहस्राष्टशताष्टाशीतयः । गुणकारो नव । १३८८८ |९| नवविंशति के गुण्यं चतुःसहस्रषट्छतचत्वारिंशतः । गुणकारी नवसहस्रद्विशताष्टचत्वारिंशतः ४६४० | ९२४८ । गुण्यगुणकारे गुणिते
भुजाकार होता है । सो एक भेदरूप पच्चीसका बन्ध करके छब्बीस आदि सब स्थानोंके सब भेदों को बांधे तो पच्चीसके सत्तर भंगोंके कितने भंग होंगे। इस प्रकार चार त्रैराशिक १५ करो । यहाँ प्रमाणराशि सर्वत्र पच्चीसका एक भेद । फलराशि छब्बीसके बत्तीस भेद, अठाईसके नौ भेद, उनतीसके बानबे सौ अड़तालीस, तीसके छियालीस सौ चालीस । इच्छाराशि सर्वत्र पच्चीस के सत्तर भेद । सब फलराशियोंको जोड़नेपर ३२+९+ ९२४८ + ४६४० = तेरह हजार नौ सौ उनतीस १३९२९ हुए । उसको इच्छाराशि सत्तरसे गुणा करनेपर नौ लाख पिचहत्तर हजार तीस ९७५०३० हुए। इतने पच्चीसके मुजाकार होते हैं ।
छब्बीसका बन्ध करके अठाईस आदिका बन्ध करनेपर भुजाकार होता है । सो छब्बीस एक भेदका बन्ध करके सब अठाईस आदिके सब भेदोंका बन्ध करे तो छब्बीसके बत्तीस भेदोंके द्वारा कितने बन्धभेद हों, इस प्रकार यहाँ तीन त्रैराशिक करना । उनमें प्रमाणराशि तो सर्वत्र छब्बीसका एक भेद । फलराशि क्रमसे अठाईसके नौ भेद, उनतीस के बानबे सौ अड़तालीस भेद, तीसके छियालीस सौ चालीस भेद । इच्छाराशि सर्वत्र छब्बीस - २५ के बत्तीस भेद । सर्व फलराशिको जोड़नेपर ९+ ९२४८ + ४६४० = तेरह हजार आठ सौ सतानबे हुए । उनको इच्छाराशि बत्तीससे गुणा करनेपर चार लाख चवालीस हजार सात सौ चार ४४४७०४ होते हैं। इतने छब्बीसके मुजाकार जानना ।
अठाईसका बन्ध करके उनतीस-तीसका बन्ध करनेपर भुजाकार होता है । सो एक प्रकार अठाईसका बन्ध कर उनतीस-तीस के सब भेदोंका बन्ध करे तब नौ प्रकार अठाईसका ३० बन्ध करनेपर कितने भेद हों, इस प्रकार दो त्रैराशिक करना । उनमें सर्वत्र प्रमाणराशि अठाईसका एक भेद । फलराशि क्रमसे उनतीसके बानबे सौ अड़तालीस भेद और तीस के छियालीस सौ चालीस भेद । इच्छाराशि सर्वत्र अठाईसके नौ भेद । फलराशिको जोड़नेपर ९२४८ - ४६४० = १३८८८ तेरह हजार आठ सौ अठासी हुए । उसे इच्छाराशि नौसे गुणा करनेपर एक लाख चौबीस हजार नौ सौ बानबे १२४९९२ हुए। इतने अठाईसके स्थान- ३५
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