Book Title: Gommatasara Karma kanad Part 2
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० कर्मकाण्डे __संस्थानषट्कदोळं संहननषट्कोळं विहायोगतियग्मदोळं स्थिरशुभ सुभग आदेय यशस्कोतिस्वरनाममेब चरमषड्युग्मंगळोळमविरुद्धकतरप्रकृतिग्रहणदिदं बंधस्थानंगळो भंगंगळप्पुर्व द. क्षसंचारविधानमं कटाक्षिसि स्थानंगळोल भंगंगल्गुत्पत्तिक्रममं पे ब्दपरदेते दोडे :
यशस्कीत्ययशस्कोति आदेयानादेय सुस्वरदुस्वर सुभगदुभंग शुभाशुभ स्थिरास्थिर प्रशस्ताप्रशस्त वि संहनन संस्थान
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षट स्थानानि षट् संहननानि विहायोगतियुग्मं प्रत्येकस्थिरशुभसुभगादेययशस्कीतियग्मानि चोपर्यपरि
नामकमके बन्धस्थानोंका यन्त्र तेईसका स्थान १
उनतीसके स्थान ६
१ दोइन्द्रिय पर्याप्तयुत एकेन्द्रिय अपर्याप्तयुत
२ तेइन्द्रिय पर्याप्तयुत पच्चीसके स्थान ६
३ चौइन्द्रिय पर्याप्तयुत १ एकेन्द्रिय पर्याप्तयुत
४ पंचेन्द्रिय पर्याप्तयुत २ दोइन्द्रिय अपर्याप्तयुत
५ मनुष्य पर्याप्तयुत ३ तेइन्द्रिय अपर्याप्तयुत
६ देवतीर्थयुत ४ चौइन्द्रिय अपर्याप्तयुत
तीसके स्थान ६ ५ पंचेन्द्रिय अपर्याप्तयुत
१ दोइन्द्रिय पर्याप्त उद्योतयुत ६ मनुष्य अपर्याप्तयुत
२ तेइन्द्रिय पर्याप्त उद्योतयुत
| ३ चौइन्द्रिय पर्याप्त उद्योतयुत छब्बीसके स्थान २
४ पंचेन्द्रिय पर्याप्त उद्योतयुत १ एकेन्द्रिय पर्याप्त आतपयुत
५ मनुष्य तीर्थयुत २ एकेन्द्रिय पर्याप्त उद्योतयुत
६ देव आहारकयुत अठाईसके स्थान २
इकतीसका स्थान १
१ देव आहारक तीर्थयुत १ देवगतियुत
एकका स्थान १ |२ नरकगतियुत
। १ यशस्कीर्ति
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