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..."स्थापित संस्थाएँ| ४३
अध्यापन या मानव सेवा के कार्य को ध्यान में रखकर स्थापित हुई हैं । उनका कहीं भी यह उद्देश्य दृष्टिगत नहीं होता है कि उनके माध्यम से अपनी ! जन्मदात्री महासतीजी का गुणानुवाद करते हुए उनका प्रचार-प्रसार करें और न ही महासती जी श्री के द्वारा प्रकाशित, अप्रकाशित साहित्य का प्रचार करें।
मूलतः ये सभी संस्थाएँ मानव सेवा और धार्मिक सेवा के लिये समर्पित हैं । सभी संस्थाएँ अपने मूल उद्देश्य के अनुरूप आज प्रशंसनीय सेवाकार्य कर रही
इन संस्थानों की स्थापना के अतिरिक्त मानव सेवार्थ आपश्री के उपदेशों से अनेक स्थानों पर चिकित्सा शिविर और नेत्र चिकित्सा शिविरों का भी आयोजन हुआ है। जिनमें लोगोंको निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान की गई हैं। उन सबका विवरण यहाँ दे पाना सम्भव नहीं है । जैसे-जानकीनगर संघ ने महासतीजी श्री उम्मेदकुंवरजी म. सा. के ४० की उग्र तपस्या के उपलक्ष्य में यह संकल्प किया कि प्रतिवर्ष नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जायेगा । तीन साल से बराबर शिविर का आयोजन हो रहा है, जिसमें अनेक लोगों ने निःशुल्क चिकित्सा प्राप्त की है। स्थानक भवन निर्माण
आपश्री के प्रभाव से अनेक स्थानों के स्थानक भवनों के निर्माण में आंशिक योगदान तो हुआ ही है, उन सबका विवरण देना तो असम्भव है, किन्तु निम्नांकित स्थानों के स्थानक भवन आपश्री की प्रेरणा से हुए आर्थिक योगदान से हो निर्मित हुए हैं
१. जैन भवन (जगाधरी) २. मुनि श्री मांगीलाल स्मृति भवन (दादिया, राज.) ३. वर्द्धमान जैन स्थानक (दौराई) ४. ब्रज मधुकर स्मृति भवन (ब्यावर) ५. जैन भवन अजमेर का विशाल प्रवचन हाल ६. जैन स्थानक (देहरादून) ७. पू. जयमल स्मृति भवन (महामंदिर)
वर्तमान में पूज्यप्रवर स्व. युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी म. सा. 'मधुकर' के द्वारा स्थापित की हुई संस्थाएँ, जैसे-पागम प्रकाशन समिति, हजारीमल स्मृति प्रकाशन, बुक बैंक, वर्धमान ज्ञानपीठ छात्रावास आदि आपके निर्देशन में ही कार्यरत हैं।
KAAI
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