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नागराज का नमन | १३९
आस्था से सभी रोग और विकार दूर हो जाते हैं.
दामाद स्वस्थ हुआ रामचन्द्र सेवक, उदयपुर
मेरे दामाद को जिनकी बाधा आ गई थी । बहुत उपचार करवाया, बाधा, दूर करने के झाड़-फूंक के उपाय भी किये, प्रोभात्रों से भी मंत्रोच्चार करवाया किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। हम परिवार के सभी सदस्य बहुत परेशान हो गये। अभी मेरी पुत्री का विवाह हुए डेढ़ वर्ष ही हुआ था कि यह स्थिति आ गई।
महासतीजी उमरावकुंवरजी म० सा० 'अर्चना' ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए उदयपुर की ओर पधार रहे थे। इसी क्रम में आपका पधारना मेरी पुत्री के ससुराल बागली में हुआ । मेरे दामाद बागली के ठाकुर साहब के यहाँ सर्विस कर रहे थे । महासतीजी का मुकाम उस दिन ठाकुर सा० के मकान में हुआ। वहीं आपने मेरे दामाद को देखा । म० सा० ने मेरे दामाद की रुग्णावस्था को जान लिया और उन्हें वहीं मांगलिक के रूप के स्तोत्र सुनाया । महाराजश्री के मांगलिक को सुनकर मेरे दामाद स्वस्थ हो गये । जिन्न की बाधा दूर हो गयी । इस उपकार के लिये हम महाराजश्री के बहुत-बहुत आभारी हैं। महाराजश्री की दीर्घायु होने की कामना करते हैं और चाहते हैं कि वे स्वस्थ और प्रसन्न रहते हुए परोपकार करते रहें ।
जब नागराज श्री चरणों में नत हुआ.
नागराज का नमन D श्रीमती मुकनराज मेहता
यह हमारा पुण्योदय ही था कि प्रातःस्मरणीया अध्यात्मयोग साधिका परम विदुषी महासती श्री उमरावकुंवरजी हमारे गाँव कड़लू में पधारे । प्रापश्री के द्वारा बताये गये इष्ट-मंत्र और परम श्रद्धय प्राचार्यप्रवर श्री जयमलजी म० सा० के प्रति हमारी अपार श्रद्धा है ।
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एक बार रात्रि के लगभग आठ बजे हम कुछ बहिनें स्थानक में महासतीजी से कुछ धार्मिक भजन आदि सुन रहे थे । इसी तारतम्य में महासतीजी ने भगवान् पार्श्वनाथ का स्तोत्र भी सुनाना प्रारम्भ कर दिया। महासतीजी अभी यह स्तोत्र
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