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द्वितीय खण्ड | २२४
उसमें रखे हुए प्रत्येक थान में हमेशा हजारों जीव हरे रंग के एवं दो-तीन इन्च के पता नहीं कहाँ से कैसे आ जाते थे ? स्वास्थ्य भी हमारा गिरता जा रहा था । हर तरह से घर में अशान्ति का वातावरण फैला हुआ था। लेकिन म० सा० श्री के बताये अनुसार हमने त्याग-प्रत्याख्यान पूर्वक धर्म-पाराधना की। परिणामस्वरूप महीने के अन्दर-अन्दर सब कुछ ठीक हो गया। हम ताजिन्दगी म. सा० श्री के आभारी रहेंगे और उनके बताये हुये धर्मपथ पर चलते रहेंगे।
मैं शासनदेव से म. सा. श्री की दीर्घायु को मंगल कामना करता हूँ।
जब भगवान पार्श्वनाथ स्तोत्र और महासतीजी के आशीर्वाद से उपद्रव शान्त हो गये.
स्तोत्रपाठ का अतुलनीय प्रभाव
] एम० के० जैन, अजमेर
मैंने पूज्या महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के मदारगेट में प्रथम बार दर्शन किये। साथ ही अपना दु:ख भी बताया कि मेरी पत्नी को रात्रि में बन्द दरवाजे से कोई अज्ञात शक्ति उठाकर ले जाती है और ऐसी जगह डाल देती है जहाँ से ढूंढना हमारे लिये मुश्किल हो जाता है । यहाँ तक कि तिजोरी में से रुपये एवं जेवर भी चले जाते हैं। मेरे पिताजी एवं भाई के दिमाग का सन्तुलन भी बिगड़ा हुआ है। हमारा परिवार अत्यन्त दुःखी एवं परेशान है। म० सा० श्री ने मुझे भगवान् पार्श्वनाथ स्तोत्रपाठ करने के लिये कहा । जो विधि म० सा० श्री ने बताई उसी विधि से मैं करता रहा। थोड़े दिनों के बाद ही वह उपद्रव शान्त हो गया । हमारे मन में धर्म के प्रति अटूट आस्था जम गई। नियम के साथ हमेशा धर्माराधना एवं भगवान् पार्श्वनाथ का जप करता हूँ। साथ में म० सा० श्री का उपकार भी मानता हूँ।
मैं शासनदेव से यही प्रार्थना करता हूँ कि आपका साधनामय जीवन सदैव प्रगति की ओर अग्रसर होता रहे ।
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