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सत्साहित्य का अनुशीलन
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अहिंसा की वह दीपशिखा अनेकानेक महापुरुषों को, महात्माओं को तथा योगियों को ज्योति प्रदान करती रही और हमारे देखते-देखते इस युग के महामानव महात्मा गांधी ने भी अहिंसा की मशाल को थामा। गांधीजी ने अहिंसा की, इस अमोघ शक्ति के द्वारा ही विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी लडाई लड़ी और उसमें शताब्दियों से दासता की जंजीर में जकड़े हुए भारत को मुक्त करके विजयी बनाया। गांधीजी की विकट अहिंसक चुनौती के कारण सूदृढ़ अंग्रेजी साम्राज्य हिल गया तथा उनकी तोपों, टैंकों, हवाई जहाजों और असंख्य बंदूकों की शक्ति निरर्थक हो गई। यह सब भगवान् महावीर के उपदेशामृत की एक बिन्दु के द्वारा ही हुआ । ऐसी स्थिति में अगर मानव उनके द्वारा उपदिष्ट समस्त रहस्य-सूत्रों को अपनाकर आत्मसात कर ले तो आत्मा के संसार-भ्रमण से मुक्त हो जाने में कौनसा आश्चर्य है ?
प्रस्तुत विषय पुस्तकों के चुनाव का है। मेरा यही कथन है कि सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें अथवा ग्रन्थ वे ही होते हैं जो जीवन, जगत्, कर्मबन्ध एवं विषय-विकारों का रहस्य बताते हुए प्रात्मा को शुद्धि की चरमसीमा पर पहुँचाकर संसार-मुक्त करा सकते हैं। हमारे देश में तो प्रत्येक युग में ऐसे-ऐसे महापुरुष होते रहे हैं, जिन्होंने अज्ञान के अन्धकार में भटकते हुए मनुष्यों को अपने उपदेशों से विवेक एवं ज्ञानयुक्त मार्ग बताया और गढ-ज्ञानपूर्ण रहस्यों को लिपिबर करके अगली पोढ़ियों के कल्याण का प्रयत्न भी किया है। आवश्यकता है उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की। केवल राम, कृष्ण, ईसा, बुद्ध और महावीर आदि की गुण-गाथाएँ गा लेने से या उनकी जयन्तियाँ मनाते हए जय-विजय के नारे लगाने से मानव की कामना फलवती नहीं बन सकती। किसी कवि ने ठीक ही कहा है:
महावीर को मनाने का दिल चाहिये। अच्छे विचारों की महफ़िल चाहिए। जो जहर को अमृत बना दे । ऐसा उनका भक्त काबिल चाहिए।
पद्य में महावीर से तात्पर्य किसी व्यक्ति से नहीं है और न ही महावीर हमारे बीच में हैं । कवि की यह बात भावनात्मक है कि महावीर को अगर हम श्रमणसंस्कृति के अग्रदूत मानते हैं तो उनके वचनानुसार सही रूप में चलना भी चाहिये । आध्यात्मिक शिक्षामों से प्रोत-प्रोत हमारे शास्त्र ही उनके लिपिबद्ध वचन हैं, जिन्हें पढ़कर आत्मसात् करते हुए प्रत्येक मुमुक्षु को अपनी आत्मा को राग-द्वेष तथा विषय-विकारों से रहित बनाकर आत्मोन्नति के . मार्ग पर अग्रसर होना चाहिये।
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समाहिकामे समणे तवस्सी ओ भ्रमण समाधि की कामना करता है, वही तपस्वी
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