________________
दानवीर स्व. सेठ सुगनचन्दजी चोरडिया
भारतीय संस्कृति के मूर्धन्य मनीषियों ने जीवन का गहराई से चिन्तन किया है। उन्होंने कहा-जीवन उत्सर्ग करने की भावना है । प्रस्तुत कसौटी पर हम श्रीमान् धर्मप्रेमी स्व. सुगनचन्दजी चोरडिया के जीवन को कसते हैं तो लगता है कि उनका जीवन सच्चा और अच्छा जीवन था।
आपका जन्म राजस्थान के एक सुन्दर गाँव में हुआ था। जिसका नाम चांदावतों का नोखा है। आपके पूज्य पिताश्री का नाम श्री जड़ावमलजी सा. चोरडिया था। आपमें प्रबल प्रतिभा और पुरुषार्थ था जिसके कारण आपने सर्वप्रथम आगरा (उ. प्र.) रह कर व्यवसाय प्रारम्भ किया। उसके पश्चात् मद्रास में आपने व्यवसाय प्रारम्भ किया। ३० वर्ष तक आपश्री ने फाइनेन्स का सफलतापूर्वक व्यवसाय किया । आपमें धार्मिक संस्कार प्रमुख रूप से थे। आपकी धर्मानुरागी धर्मपत्नी में भी धार्मिक भावना का प्राधान्य था।
आपके तीन सुपुत्र हैं-श्रीमान् भंवरलालजी सा. चोरडिया, श्रीमान् स्व. पुखराजजी साहब चोरड़ियां और श्रीमान् मोतीचन्दजी सा. चोरड़िया। आपके चार सुपुत्रियाँ हैं-भंवरीबाई, सुवाबाई, शान्तिबाई और कुसुमबाई । आपकी सुपौत्री ललिताकुमारी ने प्राचार्यसम्राट् श्री आनन्दऋषिजी महाराज की सुशिष्या परम विदुषी महासती प्रमोदसुधाजी के पास आहती दीक्षा ग्रहण की है। आप बहुत ही विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं । आपसे समाज को आशाएँ हैं ।
श्रीमान मोतीचन्दजी मद्रास की अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी हैं और सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
प्रस्तुत प्रकाशन में आपके परिवार की ओर से आपकी स्मृति में उदारतापूर्वक अर्थसहयोग प्रदान किया गया है । इसके लिये आपका परिवार धन्यवाद का पात्र है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org