Book Title: Umravkunvarji Diksha Swarna Jayanti Smruti Granth
Author(s): Suprabhakumari
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar

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Page 1268
________________ श्रीमान् सेठ खींवराजजी सा. चोरडिया, मद्रास धर्मनिष्ठ सेठ श्री खींवराजजी सा. चोरडिया का जन्म राजस्थान के ग्राम नोखा-चांदावतों का-में ई. सन् १९१४ में हुआ। आपके पूज्य पिताश्री सिरेमलजी सा. और माता सायबकुंवरजी के धार्मिक संस्कार आपको उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त हुए हैं। आपके तीन ज्येष्ठ भ्राता हैं । आपके दो सुपुत्र श्री देवराजजी और श्री नवरत्नमलजी हैं । अनेक पौत्रों और पौत्रियों से हरा-भरा आपका वृहत् परिवार समाज के लिये धर्मनिष्ठा की दृष्टि से आदर्श है। ___आपकी धर्मपत्नी श्रीमती भंवरीबाई धर्मश्रद्धा की प्रतिमूर्ति एवं तपस्विनी भी हैं, आपने शारीरिक स्वास्थ्य साधारण होते हुए भी अपने प्रबल आत्मबल के आधार पर वर्षीतप की आराधना की है, जिसका उद्यापन बड़ी ही धूमधाम से नोखा में किया गया था। वर्षीतप के उपलक्ष्य में लाखों की धनराशि का दान किया गया। श्री चोरडियाजी का विशाल व्यवसाय मद्रास नगर में है । व्यापारिक समाज में आपका वर्चस्व है । व्यापारियों में आप एक प्रकार से राजा कहलाते हैं। आपके व्यवसाय इस प्रकार हैं १. खींवराज मोटर्स प्रा. लि., मावर रोड, मद्रास २. फायनेंसर्स ३. खींवराज मोटर्स बैंगलूर-ऑटोमोबाइल्स एजेन्सी ४. राज मोटर्स-मोटर साइकिल एजेन्सी ५. जमीन-जायदाद का व्यवसाय ६. दी भवानी मिल्स लिमि. (धागे की मिल) (चेयरमेन) ७. श्री विग केमिकल (चेयरमेन) इसके अतिरिक्त आपकी मद्रास, जोधपुर तथा नोखा आदि में विपुल स्थावर सम्पत्ति है। किन्तु यह न समझा जाय कि आपका जीवन व्यवसाय के लिये ही समर्पित है। धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी आप तन मन और धन से महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। आप अनेक धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओं से किसी न किसी रूप से जुड़े हुए हैं तथा आपने स्वयं अपने उदार दान से निम्नलिखित संस्थाओं की स्थापना भी की है १. खींवराज चोरडिया डिस्पेंसरी, मावररोड, मद्रास २. खींवराज चोरडिया चेरिटेबिल ट्रस्ट, मद्रास ३. श्रीमती भंवरीकुंवर चोरडिया चेरिटेबिल, मद्रास इतना सब कुछ होते हुए भी चोरडियाजी बहुत सादगी पसंद, सौजन्यमूर्ति, भद्रहृदय, अत्यल्पभाषी और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी हैं। पूजनीया महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के प्रति आपकी अनन्य श्रद्धाभक्ति है। प्रस्तुत प्रकाशन में आर्थिक सहयोग प्रदान कर आपने अपनी उदारता का परिचय दिया है । आपके द्वारा दिये गये इस अर्थसहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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