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हृदयस्पर्शी अनुभूतियां | १९५
कहने का प्राशय यह है कि आप समान रूप से जैन व अजैन, जो भी आपके सम्पर्क में आता है, के लिए श्रद्धा की केन्द्र बनी हुई हैं। ११. मैं परमपवित्र, आर्यारत्न महासती श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' के
दीर्घ जीवन की इष्टदेव से प्रार्थना करता हूँ। उनके अपार ज्ञान की, उनके जीवन में व्याप्त सरलता की तथा उनके द्वारा समाज पर किये जा रहे उपकारों की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
हृदयस्पर्शी अनुभूतियां । राजेन्द्रसिंह कपूर, ६७ रावला, खाचरौद
महासती श्री उमरावकुंवरजी महाराज साहब के शुभ एवं मंगलमय दर्शन का लाभ प्राप्त कर मैं अपने आपको धन्य सः
हमारे सुपरिचित परमस्नेही श्री बादलचन्दजी मेहता इन्दौर निवासी,जो महासतीजी के परमभक्त हैं, जिनके हृदय में महाराज साहब के प्रति अटूट श्रद्धा है और जिनका पूरा परिवार ही महाराज साहब के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक है, ऐसे सज्जन मेहता साहब का परिवार हमारे निवासस्थान पर ठहरा । दिनांक १-१-८७ को श्री मेहता साहब मुझे प्रातः ही महाराज साहब के दर्शन करवाने हेतु साथ ले गये । मेहता साहब एवं अन्य श्रद्धालू-जन महाराज साहब से चर्चा करने लगे तथा अन्य सज्जनों का आना जाना लगा रहा, मैं बैठा बैठा विचार कर दंग रह गया कि कितने लोग आ-जा रहे हैं और सभी प्रसन्नचित्त हैं कारण महासतीजी सबको आशीर्वाद दे रही हैं, उनके लिए मंगल-कामना कर रही हैं ।
___ मेरा परिचय भी महासतीजी ने लिया । उनका सरल स्वभाव व बात करने का ढंग देखकर मैं गद्गद हो गया। उन्होंने जब मेरे विषय में यह जाना कि मुझे हृदयरोग हो गया था तथा कमजोरी है व थोड़ी मधुमेह भी है। यह जानकर उन्हें अति वेदना हुई और उन्होंने स्वयं ही मेरे दुःख को अपना स्वयं का दुःख माना। यह उनके कारुण्यमूर्तिरूप को तथा परदुःख को अपना दुःख समझने की भावना को दर्शाता है।
उसी क्षण उन्होंने मुझसे कहा कि आप स्वस्थ हो जावेंगे। अपने डॉक्टर की सलाह, दवाई बराबर लेते रहें और नियमित नियंत्रित आहार लें । यह कहना उनके कुशल मार्गदर्शन-स्वभाव को दर्शाता है। मुझे उन्होंने इस प्रकार कुशल मार्गदर्शन दिया तथा रोजाना मुझे अपना बहुमूल्य समय निकाल कर मांगलिक सुनाई।
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