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गुरु कृपाल परम दयाल, शिवसुख के दातार.
मांगलिक के चमत्कार ने चकित किया
- हरकचन्द बेताला, जानकीनगर (इन्दौर)
हम मूलतः डेह, जिला नागौर (राजस्थान) के रहने वाले हैं । व्यापार-व्यवसाय के सिलसिले में इन्दौर आकर रहने लगे। सन् १९८३ में प्रातःस्मरणीया परम विदुषी महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. 'अर्चना' का चातुर्मास इन्दौर हुआ तो हमारे प्रानन्द की सीमा नहीं रही।
__ चातुर्मास-काल में हम प्रायः जानकीनगर से महावीर भवन इमली बाजार जाते रहते थे।
मेरे पौत्र चिंटू (महेन्द्र) के हृदय में एक बड़ी गाँठ हो गई थी। चिंटू की आयु अभी चार वर्ष ही थी । अनेक प्रकार से उपचार करवाया गया, किन्तु कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था । अन्ततः डॉक्टरों आदि सभी की यही राय हुई कि बच्चे को बम्बई ले जाया जावे और वहीं इसका आपरेशन करवाया जावे। आपरेशन के अतिरिक्त अब इसका कोई अन्य उपचार नहीं है। ऐसा निश्चित होने पर हमने बम्बई जाने की तैयारी कर ली और बम्बई जाने के पूर्व हम चिंटू को लेकर महासतीजी की सेवा में महावीर भवन पहुँचे ताकि जाने से पूर्व मंगलवचन का श्रवण कर लें। यह महाराजश्री के प्रति हमारा श्रद्धाभाव और विश्वास है। चिंटू इस समय अचेतावस्था में था। हम महासतीजी की सेवा में पहुँचे, अपनी बात कहकर मांगलिक फरमाने का निवेदन किया । महासतीजी ने जैसे ही मंगलपाठ सूनाया वैसे ही चिट को झटके के साथ वमन हया और वहाँ उपस्थित सभी ने देखा कि वमन के साथ ही एक गांठ भी निकल पड़ी। हमने उस दिन बम्बई जाना स्थगित रखा। हम सब यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये कि शाम को चिंटू हम उम्र बच्चों के साथ खेलने लगा। फिर तो चिंटू प्रतिदिन महासतीजी के दर्शन करने जाने लगा । यदि घर वालों को फुरसत नहीं होती तो वह स्वयं ड्राईवर को लेकर महासती जी की सेवा में पहुँच जाता।
आज वह पूर्ण स्वस्थ है और प्रसन्न रहता है । महासतीजी के प्रति उसे अटूट श्रद्धा है और अब तो स्थिति यह है कि यदि मिल में किसी मजदूर को ज्वर पा जावे या अन्य कोई तकलीफ हो तो चिंटू स्वयं उसे अपने साथ लेकर महासतीजी की सेवा में उपस्थित हो जाता है और मंगलपाठ सुनवाता है। वह कहा करता है कि महाराज सा० के मांगलिक से सब कुछ ठीक हो जाता है।
महावीर भवन, इन्दौर का चातुर्मास सम्पन्न कर महासतीजी राजमोहल्ला स्थित स्थानक में पधारे । हम लोग आपके दर्श न करने के लिये घर से रवाना होने
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