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श्रमणी - आकाश के उज्ज्वल नक्षत्र गुरुणीजी म. सा.
साध्वी हेमप्रभा, साहित्यरत्न
मुझे हार्दिक प्रह्लाद है, प्रसन्नता है कि ज्ञान, दर्शन, चारित्र की साकार प्रतिमा, ज्ञान- सागर में डुबकी लगाने वाले, करुणा की प्रतिमूर्ति, प्रवचन- शिरोमणि, काश्मीरप्रचारिका परम पूज्या गुरुणीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा. " अर्चना " की 'दीक्षा - स्वर्णजयन्ती' के पावन प्रसंग पर एक शानदार "अभिनन्दन ग्रन्थ " प्रकाशित होने जा रहा है । इस सुन्दर अवसर पर हृदय के निर्मल भावों की एक लघु भेंट आपके श्रीचरणों में समर्पित करती हुई मैं अपने आपको सौभाग्यशाली अनुभव कर रही हूँ ।
श्रद्धया गुरुणीजी म. सा. एक ऐसे रत्न की भांति हैं, जिनसे ज्ञान, प्रेम, दया करुणा, योग, तप आदि की प्रतिपल प्रतिक्षण कान्ति बिखरती रहती है । इस कान्ति की प्रभा में मुझे भी जीवन का सही अर्थ पहचानने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
आपके नाम का प्रत्येक वर्ण जीवनदर्शन को आत्मसात् किये हुए है । ऐसा प्रतीत होता है कि आपका नाम संख्यातीत सद्गुणों की खान है । जैसे हम पुष्प को देखते हैं लेकिन उसकी सुरभि को केवल अनुभव करते हैं, इसी प्रकार आपके गुणों की महक से मैं आपके नाम का निम्नलिखित अर्थ अनुभव करती हूँ ।
मन को प्रसन्न करने वाली आपश्री की मांगलिक एवं ध्यान साधना में एक अलौकिक शक्ति है । इस अलौकिक शक्ति का प्रभाव मैंने स्वयं अपनी आँखों से अनेकों बार देखा है । प्रत्यक्ष अनुभव किया है कि जो लोग रोते बिलखते आते हैं, गुरुणीजी म. सा. का मांगलिक श्रवण कर हँसते-मुस्कराते हुए विदा होते हैं । मैं भी जब सिर दर्द एवं चक्कर से छटपटाती हूँ, तब मात्र म० सा० श्री का मांगलिक ही मेरा उपचार करता है ।
हाथों से आशीर्वादरूपी दान देकर तथा वृद्ध, अपाहिज रोगी आदि की सेवा कर, आपश्री, इसकी सार्थकता को सिद्ध करते हैं । जो व्यक्ति आपश्री से केवल आशीर्वादरूपी दान प्राप्त कर लेता हैं, वह निहाल हो जाता है और अपने आपको धन्य समझता है । इसके अतिरिक्त आप अपने हाथों से सेवा करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो। हमने कई बार अनुभव किया है कि जब कभी हम छोटों के कोई दर्द हो जाय तो आप शीघ्र ही सेवा के लिए तैयार हो जाते हैं । आपकी एक और विशेषता यह है कि आप श्राजानुबाहु हैं। यह
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