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द्वितीय खण्ड / ९८ विलक्षणता महात्मानों में विशेषरूप में दृष्टिगत होती है। महात्मा गांधी आजानुबाहु थे।
सरलता अापके व्यक्तित्व को विलक्षण विशेषता है। सामने खडा व्यक्ति भले ही कटु वाणी में कुछ कहे, लेकिन आप उसे चुपचाप सुन लेते हैं, तुरन्त उसे कुछ नहीं कहते हैं । यह सरलता आपको सभी के निकट ले जाती है। हम देखते हैं कि किसी कार्य के लिए कोई साध्वी या अन्य कोई व्यक्ति आकर पूछे-"क्या फलां काम ऐसा कर लिया जाय ?" तो आप सहज में उत्तर देते 'हाँ' कर लो'। कुछ क्षण बाद दूसरी साध्वी या व्यक्ति पाकर पूछ लेवें कि क्या फलां काम वैसा न करके ऐसा कर लिया जाय ? तो भी आपका प्रत्युत्तर स्वीकृति में ही होता है । कहने का तात्पर्य यह है कि आपमें इतनी सरलता है कि हर कोई अपनी बात के लिए आपको सन्तुष्ट कर लेता है ।
Nothing is more simple than greatness
Indeed to be simple is to be great - "Emerson" तीक्ष्ण वाणी कहकर दूसरों के मन को मत दुखायो-यह आपका सदैव उपदेश एवं शिक्षा रही है। आप कभी भी किसी को भी चुभती बात या जिसे सुनने से किसी का मन दुःखी एवं अशांत हो जाय, ऐसी वाणी नहीं फरमाते हैं । आप एक उर्दू कवि के कथन को सदैव दोहराते रहते हैं
"फितरत को नापसंद है सख्ती जबान में।
पैदा हुई ना इसलिए हड्डी जबान में ॥ अर्थात्-"कुदरत को जबान की सख्ती यानि कठोरता पसंद नहीं है, अतः उसने जबान में हड्डी का निर्माण नहीं किया ।" इस का मूक संकेत यही है कि जबान स्वयं जैसी कोमल है, वैसी वह कोमल शब्दों का उच्चारण भी करे ।
श्रा का अर्थ है चमक । प्रापश्री की तपस्या एवं योग-साधना में सूर्य की सी चमक है । जिस प्रकार सूर्योदय के पूर्व चारों ओर अंधकार की चादर बिछी हुई होती है, और ज्यों ही सूर्य की प्रथम किरण उत्कीर्ण होती है, चारों ओर फैला अंधकार भाग जाता है, उसी प्रकार आपकी ध्यान-साधना, जप, तप के समक्ष अज्ञान एवं अवगुण रूपी अंधकार स्वयं ही तिरोहित हो जाता है।
उर अर्थात् हृदय प्रापका सागर सा विशाल एवं करुणा, दया, सहिष्णुता, प्रेम आदि से ओत-प्रोत है । आप किसी दीन-हीन गरीब व्यक्ति की दयनीय स्थिति अथवा किसी प्राणी को भूख-प्यास या अन्य किसी कारण से तड़पते तरसते नहीं देख पाते हैं । एकदम आपका मन दयार्द्र हो जाता है । लोक-कल्याण की भावना से जहाँ-जहाँ आप विचरण करते हैं, वहाँ आप गरीबों, अनाथों आदि का ध्यान रखते हुए, ऐसी संस्थायें खुलवाते हैं, जिनसे उन्हें कुछ न कुछ सहायता मिलती रहे । आज भी राजस्थान के जोधपुर, नागौर, अजमेर, अलवर आदि क्षेत्रों में तथा मध्यप्रदेश के खाचरौद आदि नगरों में ये संस्थायें चल रही हैं।
"A good heart is worth gold." - "Shakespear".
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