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प्रेरणा का प्रताप / १३५
आपके इस चातुर्मास की जानकारी मिली तब मैं नियमित रूप से आपके दर्शन करने व प्रवचन सुनने जाने लगा। इसी अवधि में मैं एक बार फिर से गम्भीर रूप से अस्वस्थ हो गया। परिवार वालों ने मेरे जीवन की उम्मीद ही छोड़ दी थी। मेरी धर्मपत्नी उसी समय लाखन कोठरी गई और पूजनीय महासतीजी को बुलाकर ले आई । महासतीजी ने मुझे कुछ मंगलपाठ सुनाये। आपके उस मंगलपाठ को सुनकर मेरी पीड़ा कम हुई और मैं शीघ्र ही स्वस्थ हो गया। उसके बाद में कभी फिर अस्वस्थ नहीं हुअा। इतना ही नहीं अापके मंगलपाठ सुनने के पश्चात् मेरे परिवार में जो भयंकर कलह था वह भी दूर हो गया। इस प्रकार
आपके व आपके मंगलपाठ के प्रभाव से मैं शारीरिक रूप से तो स्वस्थ हुअा ही किन्तु पूरे परिवार में भी शान्ति और हर्ष व्याप्त हो गया। यह महाराज श्री की कृपा है कि आज हम सब सुखमय जीवन जी रहे हैं। शासनदेव से यही प्रार्थना है कि आपकी कृपा सदैव हम पर बनी रहे ।
मांगलिक के प्रभाव से मनुष्य सुप्तावस्था से जागृतावस्था की ओर उन्मुख होता है.
प्रेरणा का प्रताप - सोहनलाल कटारिया, महामन्दिर
मैं एकबार ज्वरग्रस्त हुआ और उसी में मुझे टाइफाइड हो गया । पर्याप्त उपचार कराने के उपरान्त भी मेरी स्थिति में सुधार नहीं हुअा वरन् मेरी हालत दिन प्रतिदिन गिरती गई और स्थिति यहाँ तक आ गई कि मेरा बिस्तर से उठना भी कठिन हो गया। अपनी इस अस्वस्थता से मैं स्वयं भी चिंतित हो उठा और सोचता रहता था कि अब क्या होगा?
रात्रि का समय था। अपने बिस्तर पर पड़ा था, मैं लगभग निद्रावस्था में था। मुझे लगा कि कमरे में अचानक प्रकाश हा जिससे सारा कमरा जगमगा उठा, तभी एकाएक परमश्रद्धय प्राचार्य भगवंत श्री जयमलजी म. सा० प्रकट हुए । आचार्यश्री के दर्शन करने से मेरा रोम-रोम पुलकित हो उठा । मैंने वंदना के लिए उठने का प्रयास किया तो मुझे संकेत मिला कि ऐसे ही बैठे रहो। फिर प्राचार्यश्री ने फरमाया-"कल तुम महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा० 'अर्चना' से मांगलिक सुन लेना, ठीक हो जाओगे।" इसके पश्चात् मैं पूर्ण जागृतावस्था में आ गया। मैंने यह बात अपनी पत्नी को बताई, वह श्रद्धावनत हो उठी । ___ उन दिनों महासतीजी उम्मेदकुंवरजी म. सा. के पैर में तकलीफ थी और वे उपचारार्थ गांधी अस्पताल में विराज रहे थे। प्रातःकाल ही मेरी धर्मपत्नी
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