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द्वितीय खण्ड / १३६
गांधी अस्पताल गई और पूजनीया महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म० सा० 'अर्चना' को सारा वृत्तांत कह सुनाया और घर पधार कर मांगलिक सुनाने का नुरोध किया | महासतीजी करुणासागर हैं, पर दुःखकातर हैं । मेरी धर्मपत्नी के साथ उसी समय चल दीं। गांधी अस्पताल से महामंदिर लगभग ५-६ किलोमीटर दूर है, महासतीजी इस दूरी को पार कर मेरे यहाँ पधारे और मुझे भगवान् पार्श्वनाथ का स्तोत्र सुनाया । उस समय मैंने अपने आप में एक प्रद्भुत शांति का अनुभव किया और कुछ शक्ति का अनुभव भी हुआ। इससे मुझे विश्वास हो गया कि अब मैं एकदम स्वस्थ हो जाऊँगा । पूजनीय महासतीजी तो मांगलिक सुनाकर गांधी अस्पताल चले गये और इधर मैं बिस्तर पर पड़ा-पड़ा उनकी कृपा और दयालुता पर विचार करता रहा। दस वजते-बजते मेरा ज्वर उतर गया और मैंने अपने शरीर में स्फूर्ति का भी अनुभव किया। कुछ ही दिनों में मैं एकदम स्वस्थ हो गया । इसके पश्चात् फिर कभी ऐसी बीमारी आज तक नहीं आई । मैं तो इस करुणावस्था में अपने जीवन से लगभग निराश ही हो चुका था । किन्तु पू० श्रीजयमलजी म० सा० के द्वारा बताये मार्ग एवं पूजनीया महासतीजी श्री उमराव कुंवरजी म० सा० 'अर्चना' की मंगलवाणी सुनकर मुझे नया जीवन मिला । आज भी मैं प्रतिवर्ष जहाँ कहीं भी आप विराजित रहते हैं, आपके दर्शनों का लाभ प्राप्त करने पहुँच जाता हूँ। मैं हृदय से यही मंगल कामना करता हूँ कि महासतीजी सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें और जनकल्याण का कार्य करते हुए भगवान् महावीर का शासन दिपावें ।
मांगलिक नौका बाधारूपी सागर से पार उतारती है.
बाधा हट गई
[] राधेश्याम शर्मा (हरियाणा)
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मैं हरियाणा के एक गांव का रहने वाला हूँ और मैं वर्षों से जानकीनगर इन्दौर स्थित प्रकाश दाल मिल्स में काम कर रहा हूँ। मेरी पत्नी पाँच वर्षों से अस्वस्थ है | मैंने सभी प्रकार के उपचार करवाये किन्तु वह स्वस्थ न हुई । कुछ जानकर लोगों ने प्रेत-बाधा बताई | मैंने उसके अनुरूप झाड़-फूंक भी करवाया किन्तु फिर भी मेरी पत्नी प्रेतबाधा से मुक्त नहीं हुई । पत्नी की इस अस्वस्थता के कारण मेरी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई थी। एक दिन मुझे प्रकाश दाल मिल के मालिक श्री बादलचन्द साहब मेहता ने कहा कि तुम अपनी पत्नी को पूजनीया महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म. सा० 'अर्चना' की सेवा में ले जाओ और
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