Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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( २६ )
विषय
४२६ से ४३३
४२८
४३३
४३४ से ४६५
४३४
४३७
४४१
४४६
४४७
४५७
४६०
१५ विशेष पदार्थ विचार : वैशेषिक के विशेष पदार्थ का लक्षण असंभव दोषयुक्त है विशेष पदार्थ विचार के खंडन का सारांश १६ समवाय पदार्थ विचार : वैशेषिक के समवाय नामा पदार्थ का लक्षण प्रयुतसिद्ध पदार्थों में जो इह इदं प्रत्यय होता है वही समवाय का द्योतक है समवाय संयोग के समान नानारूप नहीं है जैन समवाय का निरसन करते हैं प्रयुतसिद्ध का लक्षण वैशेषिक मान्य छह प्रकार का सम्बन्ध इह इदं प्रत्यय तादात्म्य के कारण होता है दो द्रव्यों से भिन्न संयोग नाम की कोई वस्तु नहीं है समवाय को एक रूप मानना भी प्रयुक्त है सत्ता समवाय असत् वस्तु में होता है या सत् वस्तुमें ? समवाय स्वतः संबंध रूप है ऐसा कहना सिद्ध नहीं होता समवाय दो समवायी द्रव्यों में कल्पित किया जाता है या असमवायी द्रव्यों में ? नैयायिक के पदार्थों को संख्या सोलह है १७ धर्माधर्म द्रव्य विचार : धर्म अधर्म द्रव्य को अनुमान द्वारा सिद्धि गति और स्थिति में प्राकाश हेतु नहीं है १८ फलस्वरूप विचार : प्रमाण के फल का लक्षण एवं उसका प्रमाण से कथंचित् भेदाभेद प्रतिपादन करने वाले दो सूत्र
४६५
४६८
४७८
४८२
४८७
४६१
४६६ से ५०१
४६६
४६६
५०२ से ५१३
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