________________ 41 . श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह (3) महत्तंरागारेणं-घर के बडेरे पुरुष के कहने से मिथ्यात्व प्रवृत्ति करनी पडे तो भंग नहीं / (4) सव्यसमाहिवत्तियागारेणं-शरीर में सन्निपात अदि भयंकर रोग के आक्रमणसमय में कोई विरुद्ध आचरण हो जाय तो भंग नहीं होता। नियम१ प्रति दिनवार देवदर्शन करूंगा। 2 , नौकारसी या मास में करूंगा। 3 , नौकारमंत्र की माला-गिनूंगा। 4 महीने में-वार या-तिथि पूजा करूंगा। 5 प्रति वर्ष छोटी बडी तीर्थयात्रा करूंगा। 6 , सप्तक्षेत्र में खर्च करूंगा। 7 , साधारण में खर्च करूंगा। 8 , ज्ञान खाते में खर्च करूंगा। 9 , साधर्मिक की भक्ति - वार करूंगा। ___ ऊपर के नियम जीवन पर्यन्त पालूंगा। आगाढ कारण विशेष की जयणा है। मन शरीर अथवा आत्मा की परवश दशा में भी जयणा है। सम्यक्त्व सब व्रत और नियमों का मूल और आधार कहा गया है इस वास्ते पहले धर्मश्रद्धारूप सम्यक्त्व दृढ करना चाहिये फिर गृहस्थ योग्य दूसरे व्रत नियमों को अंगी कार करें।