________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह स्त्रीमंडल के पीछे सामान्य जन गण चलता था। इस प्रकार की व्यवस्था के साथ वरघोडा निकलता तब दर्शकगण की इतनी भीड होती थी कि इधर से उधर जाना मुश्किल हो जाता, फिर भी स्वयंसेवकों की तत्परता से उस में किसी तरह का कष्ट या नुकसान नहीं होने पाता था। . 19 पुलिसपार्टी का इन्तजाम यद्यपि सभी स्थानों में सेवामंडल अपनी तत्परता से चौकी पहरे भरते रहते थे, फिर भी बाहर और खास करके रात्रि के समय पुलिस भी अपनी डयुटी बजाती रहती, पुलिस सुप्रिन्टेंडेंट, पुलिस सबइन्सपेक्टर और कान्स्टेबल मिल कर करीव 35 पुलिसमैन तो स्टेट के और उतने ही चौकी पहरेदार ठिकाने गोल के तथा 10-12 खानगी आदमी मिल कर 10-80 आदमी दिन रात चौकी पहरे का काम करते थे। इस के अतिरिक्त गोल के चारों और मार्गों में भी चौकियाँ बिठा दी थीं, जिस से दिन-रात किसी भी समय कहीं भी आने जाने वालों को चोर लुटेरों का भय न हो। इतना होने पर भी पुलिस के सवार दिन रात गांव में और जंगलों में गस्त लगाते रहते थे / इस उत्तम प्रबन्ध का ही परिणाम था कि सेंकडों गांवों से हजारों मनुष्यों के इकट्ठे होने पर भी कहीं भी लूट खोस या चोरी का नाम तक सुनने में - नहीं आया।