________________ - श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 9 पोरिसी पढाने की विधिपोसवालों को कच्ची 6 घडी दिन चढने के बाद पोरिसी पढानी होती है जिसकी विधि इस प्रकार है खमा० इच्छा० 'बहुपडिपुन्ना पोरिसी' दूसरा खमा० इच्छा० 'इरियावहियं पडिक्कमामि' 'इच्छं' कह इरियावाही कर 1 लोगस्स का काउस्सग करना, ऊपर प्रगट 'लोगस्स' बोल खमा० इच्छा० 'पडिलेहण करूं ?' 'इच्छं' कह कर मुहपत्ति की पडिलेहण करनी। 10 राइमुहपत्ति पडिलेहण विधिगुरुमहाराज का योग होने पर भी राइप्रतिक्रमण उनके समक्ष आदेशग्रहणपूर्वक न किया हो तो पोसहवालों को गुरुमहाराज के समक्ष राइमुहपत्ति पडिलेहनी चाहिये, जिसकी विधि इस प्रकार है प्रथम खमासमग दे इरियावही करना, फिर खमा० इच्छा० राइमुहपत्ति पडिलेहुं ?' 'इच्छं' कह मुहपत्ति पडिलेहनी फिर दो वंदन देकर इच्छा० राइयं आलोउं इच्छं 'आलोएमि जो १-जहां जहां दो वंदन' देने का लिखा हो वहां सर्वत्र "इच्छामि खमासमणो बंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए अणुजाणह मे मिउग्गहं निसीह" इत्यादि संपूर्ण सूत्र दो बार बोल कर द्वादशावर्त वंदन करना चाहिये।