Book Title: Jain Gyan Gun Sangraha
Author(s): Saubhagyavijay
Publisher: Kavishastra Sangraha Samiti

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Page 512
________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 493 (13) देशकथा करे। (14) प्रतिलेखन-प्रमार्जन किये विना मल मूत्र परठे / (15) किसी की शिन्दा करे / (16) मातापिता पुत्र भाई आदि से सांसारिक बातें करे / (17) चौरसम्बन्धी वार्तालाप करे / (18) स्त्रियों के अङ्गोपाङ्ग सरागदृष्टि से देखे / ____ ऊपर लिखी हुई 18 बातें पोषध में करे तो पौषधिक को दोष लगता है इसलिये इनका त्याग करना चाहिये / 3 सामायिक के 32 दोष (मन के 10) (1) विधि समझे बगैर सामायिक करे / (2) यश-कीर्तिकी आशा से सामायिक करे / (3) धन की इच्छा से सामायिक करे / (4) सामायिक करने का गर्व करे। (5) लोकनिन्दा के भय से सामायिक करे / (6) सामायिक करके पौद्गलिक सुखप्राप्ति का निदान करे। (7) सामायिक के फल में संशय करे। (8) कषाययुक्त चित्त से सामायिक करे / (9) गुरु का अथवा स्थापनाचार्य का विनय न करे / (10) भक्तिभाव से सामायिक न करे।

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