Book Title: Jain Gyan Gun Sangraha
Author(s): Saubhagyavijay
Publisher: Kavishastra Sangraha Samiti

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Page 519
________________ 500 पोषधविधि (6) पौषधिक और अपौषधिक सभी को एकाशन निवी या आयंबिल करने के बाद 'दिवसचरिमं तिविहार' का पच्चक्खाण करना चाहिये। (7) दूसरी बार की पडिलेहणा में उपवास आदि तपवालों .. को कन्दोरा और पहरने की धोती सबके पीछे पडिले हनी चाहिये। (8) मुख्यवृत्या पौषधिक की रात्रि में स्थण्डिल जाने का निषेध है, परंतु कारणविशेष से जाना पडे तो पोषध शाला से सौ कदम के अन्दर जाना चाहिये। (9) कंबलकाल में कंबल ओढे बिना खुली जगह में जाने बैठने, सोने का पौषधिक को निषेध है। (10) पौषधिक को मुहपत्ति और चरवला हर समय अपने पास रखना चाहिये और सौ हाथ के उपरान्त कहीं भी जाना हो तो कटासन साथमें रख कर जाना चाहिये। // इति //

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