________________ 446 श्री गोलनगरीय पार्श्वनाथप्रतिष्टा-प्रबन्ध जैनों की थी। अन्य वर्ण के लोग आज बहुत कम रह गए थे। टीका मण्डने के बाद शाम को जीम कर यह मेला भी विसर्जन होने लगा और रात पडते पडते बहुत लोग बिखर गये, दूसरे दिन मुश्किल से बाहर के पन्द्रह सौ मनुष्य वहां रहे होंगे। ___36 सेवा का सम्मान सेवा करना एक अति कठिन कार्य है, परन्तु सेवा का सम्मान करना भी कम कठिन नहीं। प्रायः देखा जाता है कि जब तक मनुष्यों को गर्ज होती है तब तक वे सहायता करने वालों की खुशामद किया करते हैं, परन्तु काम निकलने के बाद वे अपने सहायकों को भूल जाते हैं, आनन्द का विषय है कि गोल के श्रीसंघ के संबन्ध में ऐसा नहीं हुआ। प्रतिष्ठा के काम में जिन जिन की सहायता मिली थी गोल के श्रीसंघ ने उन सबकी उचित कदर की। दृष्टान्त के तौर पर हम स्वयं सेवक मण्डलों के सम्मान का यहां उल्लेख करेंगे। . श्री आदिजिन-सेवामण्डल-तखतगढ और श्री ओसवाल नवयुवक सेवामण्डल जालोर ने गोल के श्री संघ को होने बाली अपूर्व यशःप्राप्ति में अपनी अपूर्व सेवा द्वारा जो सहायता प्रदान की थी वह श्रीसंघ के ध्यान के बाहर नहीं थी। सेवामण्डलों की इस सेवा के सम्मानार्थ गोल के श्रीसंघ ने वैशाख शुदि 7 के दोपहर को तीन बजे प्रतिष्ठा-मण्डप के