Book Title: Jain Gyan Gun Sangraha
Author(s): Saubhagyavijay
Publisher: Kavishastra Sangraha Samiti

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Page 478
________________ 459 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह परिशिष्ट 2 पोषधविधि। दिवस-पोषध 1 पोषध . "पोषं दधाति इति पोषधः" अर्थात धर्म की पुष्टि करे उसे 'पोषध' कहते हैं। पोषध जैन-श्रावक के पालने योग्य बारह व्रतों में से 'ग्यारहवां' व्रत है / सामान्यतया यह अष्टमी चतुर्दशी आदि पर्वदिनों में और विशेषप्रसंगों में किसी भी दिन किया जाता है। ____ मुख्यवृत्त्या पोषध आठ पहर का करना चाहिये, परंतु जिनकी भावना आठ पहरका करने की नहीं होती वे दिन को अथवा रात्रि को चार पहर का भी पोषध करते हैं। . ___ पोषध के मुख्य भेद चार होते हैं-१ आहारपोषध, 2 शरीरसत्कारपोषघ, 3 ब्रह्मचर्यपोषध और 4 अव्यापारपोषध / १-उपवास आदि तप करना उसका नाम 'आहारपोषध।' . २-स्नान-विलेपनादि शरीरविभूषा का त्याग करना सो 'शरीरसत्कारपोषध / '

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