________________ 464 पोषधविधि। साहुँ' 'इच्छं' खमा० इच्छा० सज्झाय करूं 'इच्छं कहकर तीन नवकार गिनना। फिर खमा० इच्छा० 'बहुवेल संदिसाई 'इच्छं खमा० इच्छा० 'बहुवेल करशु' 'इच्छं / ' प्रतिलेखनाविधि खमा० इच्छा० 'पडिलेहण करुं 'इच्छं' कहकर मुहपत्ति चरवला, कटासन (बैठका), कन्दोरा,और पहिरी हुई धोती, इन पांच उपकरणों की पडिलेहणा करना। बाद में खमा० देकर इरियावही का काउसग्ग करना, ऊपर प्रकट लोगस्स कहना / फिर खमा० 'इच्छकारी भगक्न पसाय करी पडिलेहणा पडिलेहावोजी' 'इच्छं' कह कर स्थापनाचार्य की पडि. लेहणा करे, स्थापनाचार्य की पडिलेहणा दूसरे ने कर ली हो अथवा गुरुमहाराज के स्थापनाचार्य के सामने क्रिया की जाती हो तो एक बडेरे श्रावक के अप्रतिलेखित उत्तरासन की पडिलेहणा करना / बाद में खमा० इच्छा० "उपधिमुहपत्ति पडिलेहुँ' 'इच्छं' कह मुहपत्ति की पडिलेहणा करे, फिर खमा० इच्छा० 'उपधि संदिसाहुं' 'इच्छं' खमा० इच्छा० 'उपधि पडिलेहुँ' 'इच्छं' कह कर बाकी के पास में रखे हुए तमाम बस्त्रों की 'पडिलेहणा' करे। पडिलेहणा करने के बाद इरियावही कर एक पौषधिक