________________ 456 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध मुनिप्रवर श्री कल्याणविजयजी, सौभाग्यविजयजी श्रेष्ठ छत्तर // गोल // 5 // गुरां साहेब भक्तिसोमसमा ज्यां, मुनिगुणज्ञ शोहे शुभ कर // गोल० // 6 // धन्य दिवस शुभ आनंदकारी, पार्श्वप्रतिष्ठा सुकार्य मंगल // गोल० // 7 // शोभा अनुपम उर हरखावे, आनंद आनंद छायां सकल // गोल० // 8 // श्रीसिद्धक्षेत्रब्रह्मचर्याश्रम,केरां शिशु गुण गावे जिनवर // गोल० // 9 // 4 श्री गोलनगरमण्डनपार्श्वनाथस्तवन (राग-समुद्र के लाला.) पासप्रभु की मोहनी मूरत, देखत दिल को मोह लिया॥०॥ गोलनगर में आप बिराजो, तेवीसमा जिनचंद / दर्शन तेरा आज ही पाया, मिट गया कर्म का फंद पासप्रभु० // 1 //