________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह ने चढावे बोल कर अपनी लक्ष्मी का जो सदुपयोग किया उस का विवरण नीचे मुजष है / (1) श्रीपार्श्वनाथजी के मंदिर के चढावों के आदेश 3801) रुपया में पार्श्वनाथजी के मंदिर ऊपर ध्वजा चढाने का आदेश मुंहता नेणमल, मिश्रीमल, गणेशमल, मुंहता कपूरजी के बेटों पोतोंने लिया / 3401) रुपया में पार्श्वनाथजी के मंदिर के शिखर पर सुवर्ण कलश (इंडा) चढाने का आदेश सा० गोमाजी, चूनीलाल, वनराज, सोनमल, दानमल, सा० आशाजी के बेटों पोतों ने लिया। 301) रुपया में पार्श्वनाथजी के मंदिर के मंडप पर कलश (इंडा) चहाने का आदेश मुंहता भीमाजी, खेतमल, जांवतराज, केवलचंद, मुंहता देवाजी के बेटों पोतों ने लिया। 401) रुपया में पार्श्वनाथजी के मंदिर के दूसरे मंडप पर 'कलश (इंडा) चढाने का आदेश मुंहता हरकचंद, इंदरमल, चुनीलाल, मुंहत्ता भूताजी के बेटों पोतों ने लिया।