________________ श्राजन श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 441 दिया यतियों को प्रतिमनुष्य-६-६रुपये दिये / ब्राह्मण, रावल आदि को प्रतिमनुष्य 1-1 रुपया दिया और भोजकों को एक मुस्त दान दिया। इन याचकों के उपरान्त मारवाड में हिंडोला, नानकशाही, ओघड आदि अनेकप्रकार के मनुष्य आते हैं जो कुछ न कुछ ले ही जाते हैं। ___ गोल के श्रीसंघने प्रतिष्ठामहोत्सव पर कुल 3000) तीन हजार से अधिक रूपया का याचक दान दिया। 33 इन्द्र महाराज का आगमन दश दिन पूरी शान्ति में बीते, न ज्यादा हवा चली, न गर्मी पडी और न वृष्टि हुई। इस पर लोग कहने लगे-'सब कुछ ठीक रहा, पर इस मौके पर इन्द्र महाराज का पधारना जरूरी था।' अर्थात् मारवाडवासियों की कुछ ऐसी मान्यता है कि प्रतिष्ठा-अञ्जनशलाका के प्रसंग पर थोडी बहुत वृष्टि होना शुभ शकुन है। ऐसा होने से प्रतिष्ठा विधिपूर्वक हुई यह समझा जाता है। द्वितीयवैशाखशुदि 5 मी को रात्रि के करीब दश बजे थे। प्रतिष्ठामण्डप के सभामण्डप में गायन मण्डली नाचगान कर रही थी। हजारों मनुष्यों की सभा भगवद्भक्तिमय दृश्य