________________ 427 - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह लगती थी। अच्छे अच्छे गाने वाले भी इन के सामने गाने का साहस नहीं करने पाते थे, फिर भी ये स्वयं अन्य गवैयों को भी गाने के लिये समय देते थे। ___पूजा हारमोनियम, दुकडे, खंजरी, ढोलक, ताल आदि सव साज के साथ पढाई जाती थी। . 26 रोशनी यो तो रात्रि के समय सारे नगर में गैस की किट्सन चत्तियां लगतीं और सर्वत्र चकाचौंध प्रकाश हो जाता था, परंतु प्रतिष्ठामण्डप की रोशनी की तो छटा ही ओर होती थी। बाहर का मैदान और सभामण्डप तो किट्सन लाइटों से चकाचौंध हो जाता था और मध्यमण्डप रंगबेरंगी काच की हांडियों और झुमर में जो बत्तियाँ लगतीं उन से देदीप्यमान हो जाता। वेदिकाओं की मिनाकारी-जडित मण्डपिकाओं पर जो सेंकडों बीजली के ग्लोब लगते उन के प्रकाश से तो मानों सूर्योदयका सा दृश्य उपस्थित हो जाता था। बीजली की बत्तियों के उज्ज्वल प्रकाश में हांडी, झुमरों के तैल के दीपक चंद्रयुक्त आकाश में तारों के से शोभते थे। उन के प्रतिबिम्ब जो कांच के तख्तों पर पडते उन से लोगों को भ्रान्तिसी हो जाति कि असली दीपक कौन हैं और प्रति